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वन भूमि पर वाच टावर का निर्माण अधर में

एक लाख 46 हजार हेक्टेयर के भू-भाग पर फैला ओबरा वन प्रभाग अपनी प्राकृतिक सुंदरता व खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। इसकी सुरक्षा वन विभाग के लिए कड़ी चुनौती है। इसके लिए वन विभाग ने 1

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 05:28 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 05:53 PM (IST)
वन भूमि पर वाच टावर का निर्माण अधर में
वन भूमि पर वाच टावर का निर्माण अधर में

जागरण संवाददाता, डाला (सोनभद्र) : एक लाख 46 हजार हेक्टेयर के भू-भाग पर फैला ओबरा वन प्रभाग अपनी प्राकृतिक सुंदरता व खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। इसकी सुरक्षा वन विभाग के लिए कड़ी चुनौती है। इसके लिए वन विभाग ने फरवरी में 18 लाख की लागत से तीन वन रेंज में वाच टावर का निर्माण शुरू किया था, जिसे मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित था। विभागीय सुस्ती व बीच में पंचायत चुनाव फिर कोरोना की मार के कारण यह योजना अधर में लटक गई। अगर यह वाच टावर बन जाता तो वन क्षेत्र की निगरानी चारों दिशाओं में लंबी दूरी तक आसानी से किया जा सकता था।

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ओबरा वन क्षेत्र के जंगलों में बेशकीमती पेड़ों के अवैध कटान, पहाड़ों पर पत्थरों व नदियों में बालू का अवैध खनन के कारण जहां वन भूमि विरान होती जा रही है, वहीं अवैध खनन से प्राकृतिक संपदा नष्ट हो रही है। इसे बचा पाना सरकार व संबंधित विभाग के लिए चुनौती बनती जा रही है। इसी को चुनौती मानते हुए वन विभाग नें जंगलों, पहाड़ों व नदियों पर पैनी निगरानी रखने के लिए पहली बार तीन रेंजों में वाच टावरों का निर्माण कार्य करा रही है। लेकिन उसे अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है।

इन रेंज में बनने थे वाच टावर

31690.984 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले जुगैल रेंज के चतरवार ग्राम पंचायत के चकदहिया में वाच टावर बनना है। इसके अलावा 27897 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले ओबरा रेंज के पनारी ग्राम पंचायत के आरंगी में, 31190 हेक्टेयर क्षेत्रफल वाले डाला रेंज के कोटा ग्राम पंचायत के कोटा कनहर नदी के समीप जोगियावीर पहाड़ी के पास वाच टावर का निर्माण कराया जाना है। मई तक यहां पर 75 फीसद कार्य हो चुका है।

40 फीट ऊंचा होगा टावर

वन विभाग द्वारा बनाए जा रहे वाच टावर की ऊंचाई 40 फीट है। इन टावरों पर 24 घंटे वन कर्मियों की तैनाती रहेगी। जहां पर वह जंगलों, पहाड़ों व नदियों में होने वाली गतिविधियों पर रख सकेंगे। गर्मी के मौसम में जंगलों के बीच अक्सर आगजनी की घटनाएं होती हैं जिससे जंगल को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। वाच टावर निर्मित होने के बाद ऐसी घटनाओं पर तत्काल रोक लगाई जा सकेगी। भाग दौड़ से मिलेगी निजात

घनघोर जंगल व उच्चे पहाड़ों से घीरे जंगलों में वन कर्मीयों को रास्ते के अभाव में हर जगह पहुंच पाना संभव नहीं हो पा रहा था। दुर्गम व उबड़-खाबड़ रास्ते निगरानी में रुकावट बनते थे। अब वन कर्मियों को जंगलों में भाग दौड़ करने से बहुत हद तक निजात मिल जाएगी। वाच टावर से चारो दिशाओं में कई किमी दूर तक के क्षेत्र की निगरानी करना आसान होगा। वर्जन--

वाच टावर का निर्माण लगभग 75 फीसद हो चुका है। कोरोना महामारी के कारण अभी कार्य में बाधा उत्पन्न हो रहा है। जल्द ही इसे पूर्ण कर लिया जाएगा।

राजेश सोनकर, रेंजर, डाला रेंज


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