प्रदेश की जनता का विकल्प है भागीदारी संकल्प मोर्चा
अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष पल्लवी पटेल शनिवार को जनपद में मौजूद रहीं। राबर्ट्सगंज स्थित सिचाई डाक बंगले में पत्रकार वार्ता के दौरान पल्लवी ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में अपना दल मजबूती से मैदान में उतरेगा। कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गई है।
जासं, सोनभद्र : अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष पल्लवी पटेल शनिवार को जनपद में मौजूद रहीं। राबर्ट्सगंज स्थित सिचाई डाक बंगले में पत्रकार वार्ता के दौरान पल्लवी ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में अपना दल मजबूती से मैदान में उतरेगा। कहा
कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गई है। हर तरफ अराजकता व भ्रष्टाचार है। प्रदेश की जनता इन पार्टियों के नीतियों को समझ गई है, इसलिए वह अब नए विकल्प की तलाश में है। इस विकल्प को भागीदारी संकल्प मोर्चा पूरा करेगा। बताया कि पंचायत चुनाव में पार्टी की मजबूत स्थिति के लिए कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रभारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि किसानों के समर्थन में अपना दल है। इसको लेकर राज्यपाल भवन तक जल्द ही जुलूस निकाला जाएगा। जिले में धान खरीद में हो रही अनियमितता को लेकर जल्द ही आंदोलन किया जाएगा। इस मौके पर राजवन पटेल, सीडी सिंह पटेल, सुरेश पटेल, भागीरथी सिंह, आदित्य मौर्य, रानी सिंह आदि रहे। आरक्षण को लेकर ऊहापोह, कई के बिगड़ेंगे खेल
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण का चक्रानुक्रम नियम इस बार कई बड़े लोगों का खेल बिगाड़ेगा। जिले में 25 वर्षों से अनारक्षित या एक ही वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर आरक्षण की तस्वीर बदल सकती है। शासनादेश के बाद लंबे समय से ग्राम प्रधानी की सीट पर जमे लोग अब विभागीय जुगाड़ में लग गए हैं। वहीं, दूसरे वर्गो के संभावित प्रत्याशी नई उम्मीद के साथ पंचायतों में जातिगत समीकरण साधने के लिए जुट गए हैं, ताकि आरक्षण से मिले मौके को भुनाकर गांव की सरकार की सत्ता अपने नाम कर सकें। जिले में 629 ग्राम पंचायतें हैं। सरकार ने चक्रानुक्रम फार्मूले पर आरक्षण लागू करने का आदेश दिया है। ऐसे में वर्ष 1995 से अब तक 70 से अधिक ऐसी ग्राम पंचायतें हैं, जो अब तक अनारक्षित रहीं हैं। इसी तरह कई ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जो अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षित चल रहीं थीं। हालांकि 25 वर्षों से गांव की सत्ता पर काबिज निवर्तमान प्रधानों को सीट छोड़नी पड़ सकती है। कुल मिलाकर सीटों के आरक्षण चक्रानुक्रम आदेश ने गांवों में चुनावी माहौल को भी नया रंग दे दिया है, जिसके कारण अब तक पूरे जोश के साथ चुनाव प्रचार में जुटे निवर्तमान प्रधानों के माथे पर चिता की लकीरें साफ झलक रही है। अनारक्षित सीट होने से चुनाव से दूर रहे अन्य वर्गों के प्रत्याशी आरक्षण से मौका मिलने पर चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। वहीं आरक्षित सीट पर आरक्षण बदलने की भनक लगते ही अनारक्षित वर्ग के लोग सक्रिय हो गए हैं। कई स्थानों पर तो कई निवर्तमान प्रधान सीट बचाने के लिए अपने नजदीकियों को विकल्प के रूप में तैयार कर रहे हैं, ताकि बदली तस्वीर के साथ सत्ता हाथ से जाने न पाए। लिहाजा इस बार प्रधानी का चुनाव दिलचस्प होने वाला है।
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शासन ने आरक्षण को लेकर जो निर्देश दिए हैं उसी के अनुरूप कार्य किए जा रहे हैं। लंबे समय से आरक्षण या अनारक्षित सीटों पर बदलाव हो सकता है, अगर वह तय मानक पर सटीक बैठेंगे।
विशाल सिंह, डीपीआरओ।