जल संरक्षण को लेकर और काम करने की जरूरत
जनपद में जल संरक्षण को लेकर काफी काम करने की जरूरत है। भौगोलिक रूप से पठार बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद जलस्त्रोतों की उपयोगिता को लेकर कारगर नीति के अभाव से जलस्तर ने फरवरी माह में ही विदा कहना शुरू कर दिया है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : जनपद में जल संरक्षण को लेकर काफी काम करने की जरूरत है। भौगोलिक रूप से पठार बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद जलस्त्रोतों की उपयोगिता को लेकर कारगर नीति के अभाव से जलस्तर ने फरवरी माह में ही विदा कहना शुरू कर दिया है। माना जाता है कि पठार बाहुल्य क्षेत्रों में वर्षा जल का संचय ही यहां के कठिन जीवनशैली में संकट मोचन का काम करती है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में वर्षा जल के संचय को लेकर स्थिति ज्यादा अपेक्षित नहीं है। वर्षा जल के संचय के प्रमुख स्त्रोत बंधियों की ताजा हालत प्रशासन की कार्यप्रणाली की ओर इशारा कर रही है। काला पानी कहे जाने वाले रेणुकापार के क्षेत्रों में बंधियों की उपयोगिता जगजाहिर है। इस क्षेत्र को काला पानी कहा जाता है तो इसका सबसे बड़ा प्रतीक यहां की बंधियों को देखकर लगाया जा सकता है। लाखों की आबादी के साथ मवेशियों के लिए महत्वपूर्ण 90 फीसद से ज्यादा बंधियां समय से पहले सूख जा रही हैं। दिखने लगा है असर
जल संरक्षण को लेकर दिखाई जा रही बेरूखी का खतरनाक नतीजा सामने आने लगा है। खासकर रेणुकापार के दर्जन भर बड़ी बंधियों के पिछले कई वर्षों से तटबंध टूटे होने के कारण फरवरी महीने में ही पानी संकट की स्थिति हैं। सबसे ज्यादा प्रभाव पनारी एवं जुगैल ग्राम पंचायत के कुछ क्षेत्रों में दिखाई पड़ रहा है। मध्य पनारी में मौजूद रेणुकापार की सबसे बड़ी बंधी शक्तिचौराबंधी एवं करवनिया बंधी के तटबंध के टूटे होने के कारण इस क्षेत्र में जलस्तर तेजी से घटते जा रहा है। जिसका असर यहां के हैंडपंपों और कुएं पर दिखने लगा है। जल संरक्षण के लिए सरकारी प्रयासों में दिख रही निरंकुशता के कारण ग्रामीणों सहित मवेशियों को दिक्कत हो रही है। तटबंधों की देखभाल में कमी के कारण रेणुकापार के पनारी, परसोई, बैरपुर, जुगैल, भरहरी सहित तमाम ग्राम पंचायतों में बंधियों के समय से पहले सूखने की खबरें गत कई वर्षों से आ रही है। इसके बावजूद किसी भी बंधी के तटबंध को अनुरक्षित करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। केवल पनारी ग्राम पंचायत की करमसार शक्तिचौरा बंधी, खाडर बंधी, जुर्रा बंधी, चौरिहवा बंधी, खैराही बंधी, कन्हवा बंधी, मेराडांड बंधी, चलाकी बंधी, अदराकुदर बंधी, छत्ताडांड़ बंधी, अमरस्त्रोता बंधी इस वर्ष फरवरी में ही संकट जैसी स्थिति है। जल संरक्षण पर दिया जा रहा जोर
पनारी के सेक्रेटरी राम विलास यादव ने बताया कि इस वर्ष की कार्ययोजना में जल संरक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। कई वर्षों से शक्तिचौरा बंधी के टूटे तटबंध की मरम्मत को कार्य योजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा लगभग दर्जन भर नई बंधियों के निर्माण के साथ आधा दर्जन पुरानी बंधियों की मरम्मत को भी कार्य योजना में शामिल किया गया है। इसके अलावा जल चेक डैम, तालाब और कूप निर्माण की भी योजना है। खासकर वर्षा जल संचय पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।