जंगली जानवरों ने हजारों बीघे फसल की चट
जागरण संवाददाता ओबरा वन बाहुल्य रेणुकापार के तमाम हिस्सों में वनों के लगातार कम होन।
जागरण संवाददाता, ओबरा : वन बाहुल्य रेणुकापार के तमाम हिस्सों में वनों के लगातार कम होने का सीधा असर अब किसानों की फसलों पर पड़ा है। जंगलों में पर्याप्त खुराक की कमी के कारण जंगली जानवर किसानों की खेतों की ओर पहुंचने लगे है। जंगलों के आसपास मौजूद खेत जंगली जानवरों का आसान निशाना बन रहे हैं।
रेणुकापार के ग्राम पंचायत गोठानी, जुगैल, भरहरी, खरहरा, बडगवां, पनारी, परसोई, बैरपुर, कुर्छा, चतरवार एवं अगोरी खास आदि से लगभग एक हजार बीघे से ज्यादा खेतों में जंगली जानवरों के फसलों को नुकसान पहुंचाने की खबर है। जहां अरहर के खेतों को नीलगाय पहले से नुकसान पहुंचा रहे थे वहीं वर्तमान में चना और मटर की कोमल कोपलों को लंगूर और बंदर चट कर जा रहे हैं। ज्यादातर लंगूरों के झुंड में दर्जन भर के करीब संख्या होने के कारण किसान उन्हें भगाने में डर रहे हैं। चोपन ब्लाक के ज्यादातर हिस्से खेती के लिहाज से काफी कठिन माने जाते हैं। सिचाई सहित आवश्यक संसाधनों की कमी के कारण अपेक्षित मात्रा में पैदावार नही हो पाती है। ऐसी कठिन परिस्थितियों में पैदा हुयी फसल को अगर आवारा और जंगली जानवर चट कर जाएं तो किसान की क्या हालत होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। रेणुकापार के कई ग्राम पंचायतों में फसलों के बचाव के लिए बढ़ती ठंड में भी ग्रामीणों को रातभर फसलों की सुरक्षा करनी पड़ रही है। कई क्षेत्रों में जंगली सूअर द्वारा भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। रेणुका, विजुल एवं सोन के तटवर्ती टोलों में सबसे ज्यादा दहशत महसूस की जा रही है। रेणुका के तटवर्ती पनारी के कड़िया, ओबरा गांव, शिउर, कररी, बगबईसा, जुर्रा, भोड़ार, पल्सो, चैना टोला, अमरश्रोता, खाड़र आदि टोलों में दर्जनों नीलगाय इस समय विचरण कर रहे हैं। इसके अलावा विजुल और सोन के भी तटवर्ती सैकड़ों टोलों में जंगली पशुओं की आमद सामने आई है ग्रामीणों ने बनाया मोर्चा
खेतों को बचाने के लिए ग्रामीणों को रात में भी सुरक्षा करनी पड़ रही है। छुट्टा पशुओं के आतंक को देखते हुए कई जगहों पर अब ग्रामीण संयुक्त रूप से अभियान चला रहे हैं। कई जगहों पर ग्रामीण जंगली पशुओं से संघर्ष भी करते दिख रहे हैं। पनारी, बिल्ली-मारकुंडी, बैरपुर आदि के कई टोलों में पशुओं द्वारा फसल बर्बाद करने को लेकर दंडात्मक रुख ग्रामीणों ने अपनाया है। पनारी के बगबैसा, करमसार, फफराकुंड, कर्री आदि टोलों में ग्रामीण तीर धनुष के साथ दिखाई पड़ रहे हैं।