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एंटी स्नेक वेनम है नहीं तो कैसे मिलेगी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा

जागरण संवाददाता सोनभद्र बरसात का मौसम शुरू होते ही सर्पदंश की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो जाता है लेकिन सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम का टोटा है। जंगल व पहाड़ों की बाहुल्यता वाले जिले में जहां सर्प अधिक पाए जाते हैं वहीं सर्पदंश से बचने के लिए अति पिछड़ा होने के कारण ज्यादातर लोग झाड़-फूंक पर विश्वास करते हैं जो जानलेवा साबित होता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 11:00 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 11:00 PM (IST)
एंटी स्नेक वेनम है नहीं तो कैसे मिलेगी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा
एंटी स्नेक वेनम है नहीं तो कैसे मिलेगी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : बरसात का मौसम शुरू होते ही सर्पदंश की घटनाओं में तेजी से इजाफा हो जाता है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम का टोटा है। जंगल व पहाड़ों की बाहुल्यता वाले जिले में जहां सर्प अधिक पाए जाते हैं वहीं सर्पदंश से बचने के लिए अति पिछड़ा होने के कारण ज्यादातर लोग झाड़-फूंक पर विश्वास करते हैं, जो जानलेवा साबित होता है। हालत गंभीर होने पर ही उन्हें चिकित्सकीय व्यवस्था की याद आती है। यही वजह है कि जिले में 2020 में सर्पदंश के लगभग 80 मामले सामने आए। इसमें 42 लोगों की मौत इलाज में देरी होने के चलते हुई है। स्वास्थ्य महकमा एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त उपलब्धता की बात कर रहा है। जबकि 25 लाख की आबादी पर सरकारी अस्पतालों में मात्र 148 वायल मौजूद है। बता दें कि जिले में आठ सीएचसी, दो ब्लाक स्तरीय पीएचसी, 33 न्यू पीएचसी और एक अरबन अस्पताल हैं। अभी के समय में सभी सीएचसी केंद्रों पर मिलाकर 70 से अधिक वायल मौजूद हैं। वहीं जिला अस्पताल में 100 वायल आया था, इसमें 75 खर्च हो गया है। इस समय वर्तमान में 25 वायल उपलब्ध है। इंजेक्शन से पहले मरीज की होती है जांच

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जिला अस्पताल के सीएमएस के कुमार ने बताया कि सर्पदंश के केस में इंजेक्शन देने से पहले यह टेस्ट किया जाता है कि सर्प ने कैसे डसा। कई बार ऐसा भी होता है कि एंटी स्नेक वेनम लगाने के बाद मरीज की स्थिति बिगड़ने लगती है। इसलिए टेस्ट करने के बाद ही मरीज को जरूरत के हिसाब से इंजेक्शन दिए जाते हैं। औसतन सात से आठ डोज में मरीज ठीक हो जाता है, लेकिन किसी-किसी मामले में 10 से 12 डोज तक भी देने पड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि सांपों के दांतों में विष नहीं होते। ऊपर के छेदक दातों में विष ग्रंथि होती है। ये दांत कुछ मुड़े होते हैं। सांप के दांत जब धंस जाते हैं, तब उन्हें निकालने के प्रयास में सांप अपनी गर्दन ऊपर कर झटके से खींचता है। उस दौरान विष निकल कर काटे हुए स्थान तक पहुंच जाता है। सांप के काटने के बाद मरीज को तत्काल अस्पताल पहुंचकर इंजेक्शन लेना चाहिए।

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एंटी स्नेक वेनम की बाजारों में 500 रुपये कीमत

एंटी स्नेक वेनम की बाजारों में 500 रुपये कीमत है। ऐसे में यदि एक मरीज को आठ डोज की जरूरत पड़ी तो उसके आठ हजार रुपये खर्च हो जाएंगे। एक सामान्य परिवार के लिए यह बड़ी रकम है। सर्पदंश से मौत पर मिलेगा चार लाख :

प्रदेश सरकार ने सर्पदंश से मौत को भी प्राकृतिक आपदा मान लिया है। ऐसे में यदि सांप काटने से किसी की मौत हुई तो उसे चार लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। राजस्व विभाग की ओर से इसका सत्यापन कराया जाएगा। इसके बाद मृतक के आश्रितों को आर्थिक सहायता मिलेगी। एक नजर आकड़ों पर - गत वर्ष सर्पदंश की घटनाएं : 80

- गत वर्ष एंटी स्नेक वेनम लगाया गया : 360 वायल

- बीते साल एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता : 385 वायल

- जिला अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता : 25 वायल

- आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्धता : 70 वायल

- दो ब्लाक स्तरीय पीएचसी पर एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता : 5-5 वायल सीएचसी पर उपलब्ध है एंटी स्नेक वेनम

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म्योरपुर - 35

दुद्धी -35

बभनी -10

नगवां -07

घोरावल -15

चोपन -08

ककराही -15

चतरा - 10 बोले अधिकारी..

- जनपद में पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध है। अभी बारिश कम होने पर सांप काटने के मामले कम संख्या में आ रहे हैं। आवश्यकता पड़ने पर मंगाई जाती है। पहले ही मंगाने पर डोज के खराब होने का खतरा रहता है।

- नेम सिंह, सीएमओ।


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