पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के खिलाफ मोर्चा खोल
गैर बैंकिग वित्तीय कम्पनी दीवान हाऊसिग फाइनेंस लिमटेड (डीएचएफएल) में हुए निवेश को लेकर अब ट्रेड यूनियनों ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी दीवान हाऊसिग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में हुए निवेश को लेकर अब ट्रेड यूनियनों ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सारे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए सचिव और एमडी को तत्काल हटाये जाने और उन पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। समिति ने सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा उप्र पावर सेक्टर इंप्लाइज ट्रस्ट में हुए अरबों रुपये के घोटाले की सीबीआइ जांच की सराहना की है। समिति ने ट्रस्ट का पुनर्गठन और पूर्व की तरह कर्मचारियों के प्रतिनिधि को शामिल करने की मांग की है। साथ ही कर्मचारियों के देयों के भुगतान की जिम्मेदारी सरकार ले। संघर्ष समिति ने उठाये कई सवाल
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन पर सवाल भी किया है। कहा कि जब विगत 10 जुलाई को एक शिकायत पर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने जांच बैठाई और 29 अगस्त को जांच रिपोर्ट मिल गई तो फिर चुप्पी साधने का क्या मतलब है। समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि 17 मार्च, 2017 को डीएचएफएल में पहला निवेश किया गया था, जिसकी अनुमति चेयरमैन और एमडी से नहीं ली गई लेकिन, मार्च 2017 के बाद भी डीएचएफएल में निवेश कैसे और किसकी अनुमति से होते रहे। सवाल उठाया कि तीन साल से ट्रस्ट की कोई बैठक क्यों नहीं की गई। जबकि जांच समिति की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि निवेश में अनियमितता की गई है और 99 प्रतिशत निवेश तीन कंपनियों में किया गया है, जिसमें 85 प्रतिशत निवेश डीएचएफएल में किया गया है। कहा कि 25 जनवरी 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ हुए समझौते के अनुसार ट्रस्ट में कर्मचारियों का कोई प्रतिनिधि क्यों नहीं रखा गया ।
डीएचएफएल में निवेश के विवादित मामले में उप्र पावर सेक्टर इम्प्लॉइज ट्रस्ट के वर्तमान सचिव आइएम कौशल की तहरीर पर तत्कालीन सचिव (ट्रस्ट) प्रवीण कुमार गुप्ता एवं निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी के खिलाफ लखनऊ में मामला दर्ज कर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।