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सोनांचल में 77521 लोगों को आशियाने का इंतजार

वर्ष 2011 में सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर जिले के करीब 70 हजार गरीब चिन्हित किए गए थे। इस लिए जब प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) शुरू हुई तो उसमें से पात्रों को चिन्हित किया जाने लगा। चिन्हांकन में पता चला कि 35 हजार ही पात्र हैं। ऐसे में सभी को आवास मुहैया कराया गया। 2011 के बाद ऐसे परिवार जो गरीब हुए उनको इस सूची में शामिल नहीं किया गया था इस लिए जिला प्रशासन ने इनका अलग से सर्वे कराया। पता चला कि ऐसे 77521 परिवार ऐसे हैं जो गरीब हैं। उन्हें छत की जरूरत है। उनका नाम अनुमोदन के लिए भारत सरकार को भेज दिया गया। अब इंतजार है अनुमोद का।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 08:57 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 08:57 PM (IST)
सोनांचल में 77521 लोगों को आशियाने का इंतजार
सोनांचल में 77521 लोगों को आशियाने का इंतजार

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : वर्ष 2011 में सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर जिले के करीब 70 हजार गरीब चिन्हित किए गए थे। इस लिए जब प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) शुरू हुई तो उसमें से पात्रों को चिन्हित किया जाने लगा। चिह्नांकन में पता चला कि 35 हजार ही पात्र हैं। ऐसे में सभी को आवास मुहैया कराया गया। 2011 के बाद ऐसे परिवार जो गरीब हुए उनको इस सूची में शामिल नहीं किया गया था इसलिए जिला प्रशासन ने इनका अलग से सर्वे कराया। पता चला कि ऐसे 77521 परिवार हैं जो गरीब हैं। उन्हें छत की जरूरत है। उनका नाम अनुमोदन के लिए भारत सरकार को भेज दिया गया। अब इंतजार है अनुमोदन का।

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जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आवास का निर्माण कराया जाता है। सेक डाटा 2011 के अनुसार गरीबों को छत मुहैया कराने के लिए ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव लेकर काम कराया गया। परियोजना निदेशक आरएस मौर्या बताते हैं कि करीब 50 हजार पात्रों को सेक डाटा से छांटा गया था। लेकिन जब ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव लिए गए और सत्यापन कराया गया तो पता चला कि वास्तविक पात्र 35 हजार ही हैं। ऐसे में वर्ष 2016 से लेकर 2019 तक 35 हजार लोगों को आवास दे दिया गया। बाद में जो बचे उनमें से कइयों को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत आच्छाति किया जा रहा है। यानी सेक डाटा के अनुसार चिन्हित गरीबों को आवास मिल गया। इसके अतिरिक्त बाद में सर्वे कराया गया तो 77521 गरीबों को आवास दिलाने के लिए चिन्हित किया गया है। इनमें से करीब 61 हजार परिवारों की तो जियो टैकिग भी की जा चुकी है। यानी उनका फोटो के माध्यम से सत्यापन कराया जा चुका है। बस अनुमोदन का इंतजार है। अब तक मिले आवास

जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत अब तक करीब 35 हजार लोगों को आवास मिल चुका है। वर्ष 2016-17 में 12541, वर्ष 2017-18 में 11410, वर्ष 2018-19 में 5241 व वर्ष 2019-20 में 5814 लोगों को आवास मुहैया कराया जा चुका है। इसमें से 577 आवास अधूरे हैं। वे इस लिए अधूरे हैं क्योंकि ये तो जिनके नाम से आवास मिला उनका निधन हो या लाभार्थियों ने बनवाया नहीं। ऐसे कइयों पर कार्रवाई भी हो चुकी है। तीन किस्त में मिलता है धन

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत एक लाख 30 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके साथ ही 95 दिन की मजदूरी भी मनरेगा से मिलती है। मजदूरी श्रम करने वाले के खाते में ही भेजी जाती है। पहली किस्त के रूप में 44 हजार रुपये मिलते हैं। दूसरी किस्त 76 हजार और तीसरी किस्त के रूप में 10 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके अतिरिक्त शौचालय से अलग से मिलता है। बोले अधिकारी

जिले में नए सिरे से कराए गए सर्वे में 77521 लोगों को आवास के लिए पात्र पाया गया है। ऐसे में उन्हें आवास देने के लिए भारत सरकार को अनुमोदन का अनुरोध पत्र भेजा गया है। 61 हजार से अधिक की जियो टैगिग भी की जा चुकी है। उम्मीद है कि जल्द ही अनुमोदन मिलेगा।

- आरएस मौर्य, परियोजना निदेशक-डीआरडीए आंकड़े

जिले की कुल आबादी : 20 लाख

कुल ब्लाकों की संख्या : 08

अब तक मिले आवास : 35000

अनुमोद के लिए भेजा गया : 77521


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