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जल के जतन के लिए जज्बात को जगाना जरूरी

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : मत करो मुझको बर्बाद, इतना तो तुम रखो याद, प्यासे ही तुम रह जाओगे, मेरे बि

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 May 2018 10:07 PM (IST)Updated: Sun, 20 May 2018 10:07 PM (IST)
जल के जतन के लिए जज्बात को जगाना जरूरी
जल के जतन के लिए जज्बात को जगाना जरूरी

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : मत करो मुझको बर्बाद, इतना तो तुम रखो याद, प्यासे ही तुम रह जाओगे, मेरे बिना न जी पाओगे..। यह मर्म किसी फिल्म में नायक या नायिक के नहीं बल्कि ¨जदगी के अहम हिस्से यानी पानी के हैं। मौजूदा हालत यह है कि पानी के मर्म को हर किसी को समझना चाहिए। जब तक हर इंसान इसे नहीं समझेगा तब तक जल संचयन की दिशा में सार्थक परिणाम सामने आना मुश्किल है। अभी जो प्रयास किये जा रहे हैं वह तो ठीक हैं पर इसमें और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

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बात करें जल संचयन की दिशा में होने वाले प्रयासों की तो बंधी डिवीजन, ¨सचाई विभाग तो हर साल कुछ न कुछ बंधों, तालाबों व कूपों का निर्माण करता है। लेकिन काम इतने से ही नहीं चलेगा। जरूरत है तालाबों को सूखने से बचाने की। इसके लिए बरसात के दिनों में ज्यादा से ज्यादा पानी इनमें जाएं इसके लिए रास्ता बने तो बेहतर होगा। इससे वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा। जिले में जल संचयन के प्रति उदासीन बनी औद्योगिक कंपनियों को इसके लिए आगे आना होगा। उनके यहां रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम लगाकर पानी बचाने के पर्याप्त अवसर हैं। बस जरूरत है मजबूत इच्छाशक्ति की। इसके साथ ही नगरीय क्षेत्रों में किये गए प्रयास को और तेज करना चाहिए।

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प्रशासनिक लापरवाही से होती है दिक्कत

जल संकट का सबसे बड़ा कारण कहीं न कहीं आम आदमी में जागरूकता का अभाव और प्रशासनिक लापरवाही है। आलम यह है कि शहरी क्षेत्रों में बनने वाले भवनों में जहां वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम लगना चाहिए वहां कहीं भी नहीं लगता और नगर पालिका, नगर पंचायत, साडा और नियत प्राधिकरी के यहां से जरूरी नक्सा भी पास हो जाता है। अगर प्रशासन इस पर सख्ती करे और बगैर रैन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम के भवन निर्माण कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे तो धरती का कलेजा कभी नहीं सूखेगा।


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