बारिश की भेंट चढ़ी 82 किसानों की 200 बीघे फसल
जून और जुलाई के महीने में कमजोर मानसून ने किसानों की धड़कन बढ़ायी थी। अगस्त और सितंबर ने थोड़ा ठंडा किया लेकिन दिसंबर के शुरूआत में ही बिन मौसम ऐसी बारिश हुई कि कई किसान अभी भी चिता से उबर नहीं पाए हैं। कोई अपनी उपर क्रय केंद्र पर बेचने के लिए सुखाने में लगा है तो कोई औने-पौने दामों पर बेच रहा है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जून और जुलाई के महीने में कमजोर मानसून ने किसानों की धड़कन बढ़ाई थी। अगस्त और सितंबर ने थोड़ा ठंडा किया लेकिन दिसंबर के शुरूआत में ही बिन मौसम ऐसी बारिश हुई कि कई किसान अभी भी चिता से उबर नहीं पाए हैं। कोई अपनी ऊपर क्रय केंद्र पर बेचने के लिए सुखाने में लगा है तो कोई औने-पौने दामों पर बेच रहा है। नुकसान तो ज्यादा हुआ है लेकिन बीमा कराने वाले किसानों में से 82 ने व्यक्तिगत दावा किया। ऐसे में उनका सत्यापन हुआ तो पता चला कि 200 बीघा से ज्यादा की फसल बर्बाद हुई है। अब बीमा कंपनी जल्द ही उन्हें मुआवजा देने वाली है। इस दिशा में कार्यवाही भी तेज कर दी गई है।
कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो जिन किसानों ने खरीफ खेती के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम कटवाया था वे इस नुकसान से बचने के दायरे में हैं। दिसंबर के प्रथम सप्ताह से लेकर मध्य तक हुई करीब 60 से 80 एमएल बारिश से कई किसानों को नुकसान हुआ। तत्कालिक सर्वे में पता चला कि करीब 700 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई। जब व्यक्तिगत दावा करने के लिए कहा गया तो पहले 72 व बाद में नौ किसानों ने मुआवजे के लिए दावा किया। उनके दावे के हिसाब से जब सर्वे कराया गया तो पता चला कि 200 बीघा से कुछ ज्यादा नुकसान हुआ है। उसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जल्द ही मुआवजा दिया जाएगा। 15 से 38 फीसद तक नुकसान
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिन किसानों ने प्रीमियम कटवाया है और व्यक्तिगत दावा किया तो उनका सर्वे कराया गया। बीमा कंपनी के प्रतिनिधि, कृषि विभाग के किसी एक अधिकारी व संबंधित किसान के साथ जब सर्वे हुआ तो पता चला कि कई जगहों पर 15 फीसद तक कई स्थानों पर 38 फीसद तक नुकसान हुआ है। इसी के हिसाब से मुआवजा बनेगा। किसान को देना होता है दो फीसद
फसल बीमा योजना के तहत जो किसान अपनी फसल की बीमा करवाते हैं उन्हें दो फीसद प्रीमियम देना होता है। कृषि विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जिले में 50736 रुपये प्रति हेक्टेयर धनराशि बीमा के लिए होती है। इसकी दो फीसद धनराशि यानी 1472 रुपये प्रति हेक्टेयर किसान को देना होता है। बाकी 6.5 फीसद राज्यांश बीमा कंपनी को मिलता है। इतना ही केंद्रांश भी होता है। यानी कुल 15 फीसद प्रीमियम दर होती है। आमतौर पर जब किसान केसीसी कराता है उसी समय कृषक अंश काट लिया जाता है। आंकड़ा एक नजर में
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जिले में कुल किसान : 1.95 लाख
धान की खेती करने वाले किसान : 50 हजार
खरीफ में बीमित किसान : 22,919
कुल बीमा के दायरे में खेती : 29,751 हेक्टेयर
कुल बीमित धनराशि : 2.98 करोड़ बोले अधिकारी..
बेमौसम हुई बारिश के कारण कितना नुकसान हुआ इसका सही आंकड़ा क्राप कटिग रिपोर्ट से ही पता चलेगा। क्राप कटिग करायी गई है। वैसे व्यक्तिगत दावे में कुल 82 किसानों ने अपील किया। उनका सत्यापन करा लिया गया है। शीघ्र ही उन्हें मुआवजा दिलाया जाएगा। बाकी क्राप कटिग के हिसाब से अगर दावा बनेगा तो जरूर मिलेगा।
- डीके गुप्ता, उपकृषि निदेशक-सोनभद्र।