सोनभद्र में तीन वर्ष बाद 13वीं इकाई होगी क्रियाशील
ओबरा तापीय परियोजना में अधिष्ठापित प्रदेश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों में एक 13वीं इकाई 13 अप्रैल से क्रियाशील होगी। क्रियाशील होने के 45 दिनों बाद इकाई को कामर्शियल लोड पर ले लिया जाएगा।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : ओबरा तापीय परियोजना में अधिष्ठापित प्रदेश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों में एक 13वीं इकाई 13 अप्रैल से क्रियाशील होगी। क्रियाशील होने के 45 दिनों बाद इकाई को कामर्शियल लोड पर ले लिया जाएगा। उक्त इकाई के चालू होने से प्रदेश को सस्ते दरों पर प्रतिवर्ष 1480 मिलियन यूनिट से ज्यादा बिजली मिल सकेगी। वहीं लगभग एक दशक बाद ओबरा परियोजना का उत्पादन 1000 मेगावाट के करीब होने की उम्मीद बढ़ गई है।
बिजली उत्पादन शुरू करने से पहले बायलर, टरबाइन सहित ईएसपी के सभी हिस्सों की गहनता से जांच चल रही है। उक्त इकाई को मार्च 2018 में अनुरक्षण व मरम्मत के लिए भेल को सौंपा गया था। इसके पूरा होने की तिथि जून 2019 थी, लेकिन 14 अक्टूबर 2018 को हुए अग्निकांड में 13वीं इकाई को भारी नुकसान हुआ। इसके बाद अनुरक्षण व मरम्मत की तिथि मई 2020 तक बढ़ा दी गई। इसके लिए 510 करोड़ का खर्च निर्धारित था। इसका 90 प्रतिशत भाग स्पेयर्स के मद में बीएचईएल को भुगतान किया जा चुका है। सिर्फ 10 प्रतिशत भाग का भुगतान इरेक्शन एवं कमिशनिग कार्य में किया जाना है।
सीजीएम ओबरा तापीय परियोजना इ. आरपी सक्सेना ने बताया कि 200 मेगावाट वाली 13वीं इकाई को क्रियाशील करने के लिए 13 अप्रैल का लक्ष्य तय किया गया है। सभी परीक्षण किए जा रहे हैं। पूरा प्रयास है कि यह तय समय पर हो और इससे बिजली उत्पादन शुरू हो जाए। इससे प्रदेश के लोगों को राहत मिलेगी। वहीं बिजली की मांग गर्मी के दिनों में बढ़ जाती है जिसकी कुछ हद तक भरपाई भी हो सकेगी।