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सोन नदी में पहुंचा 12 हजार क्यूसेक पानी

रिहंद और ओबरा जलविद्युत घर की इकाइयों को लगातार चलाने के कारण 12 हजार क्यूसेक पानी रेणुका नदी में पहुंचा है। रेणुका नदी के बाद यह पानी सोन नदी में पहुंच गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 06:51 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 06:25 AM (IST)
सोन नदी में पहुंचा 12 हजार क्यूसेक पानी
सोन नदी में पहुंचा 12 हजार क्यूसेक पानी

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : रिहंद और ओबरा जल विद्युत गृह की इकाइयों के लगातार चलने के कारण 12 हजार क्यूसेक पानी रेणुका नदी में शुक्रवार को पहुंचा। जहां से यह पानी सोन नदी में पहुंच रहा है। जिसके कारण सोन नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही रेणुका नदी के भी जलस्तर में पांच फीट से ज्यादा की वृद्धि हुई है। सोन नदी के बढ़ने से सोनभद्र सहित बिहार के तटवर्ती जिलों में अब सतर्कता बढ़ानी होगी।

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मानसून सत्र के शुरू होने के कारण रिहंद जलाशय का जलस्तर काफी कम होने के बावजूद लगातार रिहंद जल विद्युत की इकाइयों को चलाया जा रहा है। इससे 12 हजार क्यूसेक से ज्यादा पानी ओबरा डैम में पहुंच रहा है। जिसके वजह से ओबरा जल विद्युत गृह की भी इकाइयों को चलाया जा रहा है। जिसके कारण 12 हजार क्यूसेक पानी रेणुका नदी में पहुंच रहा है। शुक्रवार को दिन में भी रिहंद और ओबरा जल विद्युत गृहों से बिजली उत्पादन कराया गया। रिहंद जल विद्युत गृह से क्रमश: 47 और 38 मेगावाट तथा ओबरा से 30 और 16 मेगावाट उत्पादन हो रहा था। शुक्रवार को रिहंद बांध का जलस्तर 837.5 फीट तथा ओबरा डैम का जलस्तर 193 मीटर था। ओबरा जल विद्युत गृह के अधिशासी अभियंता इं. महेश गौतम ने बताया कि रिहंद की इकाइयों के चलने के कारण ओबरा की भी दो इकाइयों को चलाया जा रहा है। जिसकी वजह से 12 हजार क्यूसेक पानी रेणुका नदी में पहुंच रहा है। बिजली की मांग बढ़ी

मानसून की शुरुआती बारिश के बाद बढ़ी उमस की वजह से बिजली की मांग बढ़ गई है। गत पीक आवर के दौरान अधिकतम प्रतिबंधित मांग 21879 मेगावाट तक पहुंच गई। जिसके सापेक्ष उपलब्धता 20339 मेगावाट ही रही जिसके कारण 1540 मेगावाट की आपात कटौती की गई। इस बीच शुक्रवार को हरदुआगंज की 250 मेगावाट की इकाई बंद हो गई, जबकि पहले से ही कई इकाइयों की बंदी से विद्युत उत्पादन में कमी हो रही है। देरशाम तक उत्पादन निगम की इकाइयों से 3106 मेगावाट तथा निजी इकाइयों से 5781 मेगावाट उत्पादन हो रहा था। उधर जल विद्युत की इकाइयों से उत्पादन बढ़ा दिया गया है।


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