संरक्षित होगा जल, तभी सुरक्षित रहेगा कल
प्रशासन सामाजिक संस्थाएं और स्कूल-कॉलेजों के बचे भी इस मुहिम में शामिल होंगे। पानी की बरबादी को रोकने के साथ वर्षा जल को संरक्षित करने का अभियान चलाया जाएगा।
जितेंद्र अवस्थी, सीतापुर
आओ बचाएं जल, सुरक्षित रहेगा कल इस स्लोगन को मुहिम बनाकर जल संरक्षण की सीख दी जाएगी। वर्ष 2021 में ये संदेश शहर से लेकर गांव तक गूंजेगा।
प्रशासन, सामाजिक संस्थाएं और स्कूल-कॉलेजों के बच्चे भी इस मुहिम में शामिल होंगे। पानी की बरबादी को रोकने के साथ वर्षा जल को संरक्षित करने का अभियान चलाया जाएगा। मनरेगा से स्कूलों और सरकारी भवनों पर रेन वाटर हार्वेटिग का काम कराया जाएगा। तालाबों का जीर्णाेद्धार और नदी संरक्षण का सबक भी सिखाया जाएगा। आमजन को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान की जिम्मेदारी समाजसेवी भी संभालेंगे।
नगर निकायों में भी वाटर हार्वेस्टिग को प्राथमिकता दी जाएगी। इसकी रूपरेखा भी तय हो गई है। कुछ निकायों ने वाटर हार्वेस्टिग प्लांट बनाया भी है।
सुधरेंगे तालाब, संरक्षित हो वर्षाजल
वर्षाजल को संरक्षित करने के लिए मनरेगा से तालाबों को संवारा जाएगा। जीर्णोद्धार का काम कराया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिले के सभी ब्लॉकों में 353 तालाबों के जीर्णोद्धार का लक्ष्य निर्धारित किया गया था । दिसंबर तक 322 तालाबों की खोदाई व संरक्षण का काम पूरा कर लिया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 का लक्ष्य अभी निर्धारित नहीं किया गया है। तालाबों के अलावा मनरेगा से ड्रेन खोदाई का काम भी कराया गया है। गोमती नदी के संरक्षण की मुहिम भी चलाई जा रही है। गोमती नदी के किनारे से कुछ दूरी पर स्थित तालाबों को संरक्षित कराने का काम पूर्व में ही चल रहा है। जल संरक्षण को लेकर जागरूकता मुहिम भी चलाई जाएगी।
वाटर हार्वेस्टिग प्लांट से जल संरक्षण का प्रयास नगरपालिका सीतापुर ने सरोजनी वाटिका में वर्षाजल संयत्र का निर्माण कराया है। पानी को संरक्षित करने के लिए अन्य स्थानों पर भी वाटर हार्वेस्टिग प्लांट बनाने की योजना है। नगरपालिका खैराबाद परिसर में भी वाटर हार्वेस्टिग प्लांट बना है। ईओ ह्रदयानंद उपाध्याय ने बताया कि, जल संरक्षण को लेकर आमजन को जागरूक किया जाएगा। अन्य निकायों में भी वाटर हार्वेस्टिग को लेकर अभियान चलाने की तैयारी है।
संरक्षित हुआ जल, पौधों को मिला पोषण
जल संरक्षण की मुहिम में वन विभाग ने भी जिम्मेदारी निभाई है। पर्यावरण संरक्षण के लिए तैयार की जा रही पौध की सिचाई स्प्रिंगलर से की जाती है। पौधों को जितने पानी की जरूरत होती है, उतना पानी ही दिया जाता है। वन रेंज मिश्रिख की चंद्रावल पौधशाला में ड्रिप ऐरिगेशन को प्राथमिकता दी गई है। फारेस्टर एसएन शुक्ला ने बताया कि, इससे पानी कम खर्च होता है। अनावश्यक पानी की बरबादी नहीं होती।
डीएफओ रुस्तम परवेज ने बताया कि जल संरक्षण के लिए विभाग की सात पौधशालाओं में ड्रिप सिचाई की जाती है। पौधों का पोषण भी होता है और पानी की खपत भी कम होती है।
बच्चे देंगे जल संरक्षण की सीख : सेक्रेड हार्ट डिग्री कॉलेज के एनएसएस छात्र पर्यावरण संरक्षण के साथ जल संरक्षण की सीख भी देंगे। कॉलेज व आसपास के गांवों में जाकर ग्रामीणों को जागरूक करेंगे। एनएसएस प्रभारी शशिकला मिश्रा ने बताया कि प्लान तैयार हो गया है। छात्र, गांवों का भ्रमण कर पर्यावरण व जल संरक्षण की सीख ग्रामीणों को देंगे।