बेफिक्र जिम्मेदार, 'सेहत' ठीक नहीं लेकिन भर रहे फर्राटा
डीएल न ही वाहन में बचाव उपकरण कार्रवाई को कोई अभियान भी नहीं वाहनों में घरेलू गैस का भी प्रयोग
सीतापुर : ये बात सही है कि जर्जर व बिना फिटनेस वाले वाहन हादसों को बढ़ावा दे रहे हैं, पर इस बात पर जिम्मेदार अधिक फोकस नहीं दे रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसे वाहनों से अधिकतम 10 प्रतिशत ही हादसे होते हैं। वैसे एआरटीओ कार्यालय के आंकड़े की माने तो जिले में बिना फिटनेस वाले वाहनों की संख्या सिर्फ 4909 ही है। अब ये सरकारी दावा कितना सही है, इसकी पोल तो सड़क पर हजारों की संख्या में दौड़ रहे ट्रैक्टर-ट्रॉली व अन्य भारी वाहन खोलते हैं। इन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में तो फॉग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किंग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर आदि कुछ नहीं दिखता। शहर में रेलवे माल गोदाम से निकलने वाले भारी वाहन धुंआ की उगलते दिखते हैं। काफी लोग घरेलू गैस का प्रयोग अपनी कारों में करते हैं। कुछ वाहन जैसे स्कूटर तक में लोग गैस सिलिडर रखे हैं।
जिले में ट्रैक्टर-ट्रॉली, पंजीकरण
वाहन - कुल वाहन - पंजीकरण
ट्रैक्टर - 45,440 - 100
ट्रैक्टर कामर्शियल - 300 - 239
जिले में बिना फिटनेस वाले वाहन
एंबुलेंस - 22
बस - 23
ई-रिक्शा - 571
माल वाहन - 1555
थ्री-व्हीलर - 1572
नोट : उक्त वाहनों की तरह कुल 4909 वाहन बिना फिटनेस के हैं।
क्या कहते हैं ट्रांसपोर्टर
अन्य वाहनों की अपेक्षा ट्रैक्टर-ट्रालियों से अधिक हादसे होते हैं। इनके पास न ही इंडिकेटर होते हैं न ही ये रिफ्लेक्टर लगाते हैं। ट्रैक्टर चालकों के पास डीएल-बीमा भी नहीं होते हैं। बिना फिटनेस के 40 प्रतिशत से भी अधिक वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं। हादसों में ओवरलोडिग भी जिम्मेदार है। सड़कों में गड्ढे भी हादसों की संख्या बढ़ाते हैं। इधर कुछ वर्षों से सड़क हादसों में बेसहारा मवेशियों से भी बड़ा कारण बन रहे हैं।
- सुनील मिश्र, मां वैष्णों ट्रांसपोर्ट
वाहनों की फिटनेस बहुत महत्व रखती है। वाहन का फिटनेस नहीं होने से हादसे बढ़ रहे हैं। आजकल हम देखते हैं कि 18 वर्ष से भी कम आयु के लड़के नई बाइक खरीद लेते हैं और ड्राइव कर नहीं पाते हैं। गति इतनी अधिक रखते हैं कि सामने आ जाए तो हादसा निश्चित ही रहता है। वैसे नई वाहन काफी उच्च तकनीकी के आ गए हैं। ट्रैक्टर-ट्रालियों के संचालन को प्रशासन यदि दुरुस्त करा ले तो भी हादसों में कमी लाई जा सकती है।
- गुड्डू मेहरोत्रा, मेहरोत्रा ट्रांसपोर्ट
बिना फिटनेस चलते वाहन पर होता है जुर्माना
एआरटीओ-प्रवर्तन बताते हैं कि नए वाहनों की फिटनेस अवधि दो साल है। पुराने वाहनों का फिटनेस एक वर्ष का होता है। वाहन फिटनेस न होना या यांत्रिक खराबी के कारण हादसों का प्रतिशत बहुत नहीं है। इसका प्रतिशत अधिकतम 10 होगा। बिना फिटनेस का वाहन सड़क पर चलता मिलने पर उसके विरुद्ध पांच हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। बिना फिटनेस वाले वाहन स्वामियों को नोटिस.. ऐसे वाहन जिनकी फिटनेस अवधि समाप्ति 31 जनवरी या इससे भी पहले की हैं। उन वाहन स्वामियों को नोटिस दी है। जिन वाहनों की फिटनेस अवधि एक फरवरी 2020 के बाद से समाप्त हुई है, उन सभी की फिटनेस 31 दिसंबर तक के लिए मान्य की गई है। जुगाड़ वाले वाहनों के विरुद्ध पिछले साल पिछले बिसवां व सकरन में 25 वाहनों को थाने में खड़ा कराया था।
- डॉ. उदित नारायण पांडेय, एआरटीओ-प्रवर्तन