कोषागार बंद, इंतजार के बाद बैरंग लौटे पेंशनभोगी
माह के दूसरे शनिवार को अवकाश होने का नहीं हुआ समुचित प्रचार-प्रसार 35-40 किलोमीटर का सफर तय कर कोषागार पहुंचे बुजुर्ग।
सीतापुर : महीने के दूसरे शनिवार का अवकाश जिला कोषागार में भी था। लेकिन, जानकारी के अभाव में पेंशनभोगी कोषागार खुलने का इंतजार कर बैरंग लौट गए। सिधौली के प्रेमनगर से आए पेंशनभोगी हरद्वारी लाल ने बताया कि वह हृदय रोगी हैं। वह सफर में परेशान भी हुए। लेकिन, जीवित होने का प्रमाणपत्र जमा नहीं हो पाया।
इनके साथी पेंशनर राम प्रकाश ने बताया कि वह स्वास्थ्य विभाग में फार्मासिस्ट थे। पहले भी कोषागार आते रहे हैं। राम प्रकाश ने कई बुजुर्ग पेंशनरों की ओर इशारा करते हुए कहा कि देखो ये लोग भी जीवित होने का प्रमाण पत्र देने आए हैं। इनको भी नहीं पता कि जिला कोषागार में अब महीने के दूसरे शनिवार को अवकाश होने लगा है।
वरिष्ठ कोषाधिकारी जान्हवी मोहन ने बताया कि कोषागार में महीने के दूसरे शनिवार का अवकाश दो साल से होने लगा है। पहले ऐसा नहीं था। पिछले साल भी इस दिन कोषागार बंद रहा था, लोगों को पता होना चाहिए।
मां को लेकर लौट गया राजीव :
दोपहर 12 बजे के दौरान लहरपुर के इब्राहिमपुर के राजीव भी अपनी बुजुर्ग मां रामपति को बाइक से लेकर जिला कोषागार पहुंचे थे। राजीव ने आसपास खड़े अन्य लोगों से कोषागार के खुलने के संबंध में जानकारी ली और फिर मां लेकर बैरंग लौट गए।
बड़ी मुश्किल से लाए थे बुजुर्ग पिता को :
दोपहर 12.30 बजे के समय बाइक पर सवार होकर कोमल व इनके पिता प्रकाश शुक्ल बुजुर्ग परशुराम को लेकर कोषागार पहुंचे। उन्होंने बताया कि वे परसेंडी के तेंदुआ गांव से आए हैं। जीवित प्रमाण पत्र दिलाने के लिए पिता परशुराम को दोबारा लाना पड़ेगा।
बुजुर्गो ने दैनिक जागरण को सराहा :
कोषागार के बाहर परिसर में कई बुजुर्ग बैठे दैनिक जागरण अखबार पढ़ रहे थे। इन बुजुर्गो ने कहा कि उन्हें खुशी है कि कम से कम उनके दर्द को कोई समझ रहा है। बुजुर्ग रमाकांत ने कहा कि दैनिक जागरण पेंशनभोगी बुजुर्गो की समस्याओं को उठा रहा है। वहीं, जिम्मेदार समस्याओं का संज्ञान नहीं ले रहे हैं।