प्रोत्साहन छोड़िए, यहां तो डेढ़ रुपये तक को लेकर जिद्दोजहद
30 से 35 फीसद हो पा रही इनकम। दो से तीन हजार किमी चला पा रहे रोडवेज बस।
सीतापुर : रोडवेज बस के चालक-परिचालकों की पगार भाग-दौड़ पर ही निर्भर है। सवारियां कम निकलने से उनका परिश्रम सफल नहीं हो पा रहा है। ऐसे में प्रोत्साहन राशि छोड़िए, पगार भी कम हो गई है। अब तो निगम ने शर्त खड़ी कर चालक-परिचालकों को और परेशान कर रखा है।
आदेश है 50 प्रतिशत इनकम आने पर ही उनको प्रोत्साहन राशि मिलेगी। प्रति किमी पर डेढ़ रुपये की दर से महीने में उनकी पगार बनेगी। सवारियां कम होने से बसें निकल नहीं पा रही हैं। ऐसे में चालक-परिचालक सुबह से रात तक डेढ़ रुपये की जिद्दोजहद में लगे रहते हैं।
आपको बता दें, यदि महीने भर में चालक-परिचालक पांच हजार किमी बस चलाते हैं तो उनकी पगार 7,500 रुपये बनती है। वर्तमान में सवारियों के अभाव में पांच हजार किमी बस का सफर चालक-परिचालकों को मुश्किल पड़ रहा है। कारण ये भी है, यदि बस में यात्री सवार भी होते हैं तो बस तभी चलेगी जब कम से कम 22 सवारी हो जाएं। सवारियों की न्यूनतम संख्या पूरी होने के इंतजार में बैठे यात्री भी ऊब जाते हैं। वे बस छोड़कर अन्य वाहन से निकलने की कोशिश करते हैं।
तंगी में जूझ रहे हैं चालक-परिचालक
चालक-परिचालकों के मुताबिक, सामान्य दिनों में 30-35 प्रतिशत ही इनकम रहती है। सवारियों के अभाव में प्रत्येक चालक-परिचालक महीने में दो-तीन हजार किमी ही बस चला पा रहे हैं। तमाम जिद्दोजहद के बाद महीने भर में कहीं चार-साढ़े चार हजार रुपये पगार बन पा रही है।
बसें सरेंडर, 122 कर्मी परेशान
सवारियों के अभाव में ही 42 बसें सरेंडर हो गई हैं। इसमें लगे चालक-परिचालक ड्यूटी पाने को दिन भर बस अड्डे भर घूमते रहते हैं। इनको यदि गाड़ी मिली तो सवारियों के लिए जद्दोजहद करनी होती है। सरेंडर बसों में निगम की 23, चार जनरथ, 14 अनुबंधित बसें हैं। इनमें कुल 122 चालक-परिचालक लगे थे। प्रतिशत इनकम आए तो मिले प्रोत्साहन राशि
सामान्य चालक-परिचालक के लिए 3000 रुपये
उत्तम श्रेणी के चालक-परिचालक के लिए 5000 रुपये
उत्कृष्ट श्रेणी चालक-परिचालक के लिए 7000 रुपये
सवारियां कम हैं। निगम घाटे में है। प्रोत्साहन राशि के लिए कम से कम 50 प्रतिशत इनकम लाना अनिवार्य है। हालांकि इस शर्त से चालक-परिचालक प्रभावित हो रहे हैं।
विमल राजन, एआरएम