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सड़क किनारे ठिकाना, 600 परिवारों को भूमि व आवास की प्रतीक्षा

बाढ़ व कटान से प्रभावित लोगों को नहीं मिल रही प्रशासन से मदद पीड़ित परिवार बेबसी में बिता रहे जीवन।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Dec 2021 12:21 AM (IST)Updated: Sat, 11 Dec 2021 12:21 AM (IST)
सड़क किनारे ठिकाना, 600 परिवारों को भूमि व आवास की प्रतीक्षा
सड़क किनारे ठिकाना, 600 परिवारों को भूमि व आवास की प्रतीक्षा

सीतापुर : घाघरा व शारदा नदी की कटान से प्रभावित परिवार खेतों व सड़क किनारे झोपड़ी डालकर रहने को विवश हैं। इन परिवारों को अभी तक रहने के लिए भूमि व आवास की सुविधा नहीं मिल पाई है। नदी की कटान में खेत व घर खो चुके ये परिवार बेबसी में जीवन गुजार रहे हैं। बहरहाल, जिम्मेदारों की नजरें इन पीड़ित परिवारों पर नहीं पड़ रही हैं। लगभग 600 परिवार मजदूरी कर झोपड़ी व प्लास्टिक शीट के नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं। ये परिवार तहसील प्रशासन से राहत मिलने की उम्मीद लगाए हैं।

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विधायक सेउता ज्ञान तिवारी ने बताया कि बाढ़ व कटान पीड़ित परिवारों की सूची बनाकर हमने तहसील प्रशासन को सौंपी है। शासन से पैसा जारी होने के बाद जमीन खरीदकर पीड़ित परिवारों को आवंटित की जाएगी। फिर सरकारी आवास की सुविधा दी जाएगी। इसके लिए हम लगातार शासन स्तर पर पैरवी कर रहे हैं। एसडीएम बिसवां अनुपम मिश्र ने बताया कि बाढ़ व कटान पीड़ितों को जमीन व आवास मुहैया कराने के लिए प्रक्रिया चल रही है। सूची भेजी जा चुकी है। जैसे ही बजट जारी होता है, जमीन उपलब्ध कराने की कार्रवाई की जाएगी।

इन गांवों के पीड़ित परिवार :

म्योढ़ी छोलहा, श्रीराम पुरवा, धूस पुरवा, जटपुरवा के करीब 70 परिवार किशोरगंज, ताहपुर, कोलिया, छड़िया संपर्क मार्ग पर डेरा डाले हैं। मल्लापुर, बढ़ईन पुरवा के 110 परिवार नकहा कनौरा, किशोरगंज, काशीपुर, रमुवापुर मार्ग पर रह रहे हैं। गोलोक कोडर व दुर्गापुर के 205, फौजदार पुरवा के 104, परमेश्वर पुरवा के 65, पासिन पुरवा के 56 परिवार रामलालपुरवा-सुकईपुरवा जाने वाले बंधा पर डेरा डाले हैं। बहुत से कटान पीड़ित परिवार आजाद नगर, मोदीनगर, आसाराम पुरवा, सुकई पुरवा, जंगल टपरी आदि मार्गों पर रह रहे हैं।

कैसा भी हो मौसम, दिक्कतें उठाना मजबूरी :

दुर्गापुरवा के मुलायम सिंह यादव, सुरेंद्र कुमार, बैजनाथ, जगदीश, सुमिरन, नरेश, राजेंद्र, आसाराम, विपिन कुमार, कैलाश व विजय आदि के खेत व घर नदी में समा चुके हैं। बैजनाथ ने बताया संपर्क मार्गो का किनारा रहने का ठिकाना बना हुआ है। वहीं, बहुत से पीड़ित परिवार खेतों में बरसाती खींचकर रह रहे हैं। ठंड के मौसम में ये लोग किसी तरह से अलाव की व्यवस्था कर समय बिता रहे हैं।


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