जवानी में आंदोलन, बुढ़ापे में मंदिर दर्शन
श्रीरामजन्म भूमि आंदोलन में शामिल हुए लोगों ने व्यक्त की खुशी। लोगों में जोश।
सीतापुर: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए कई बार आंदोलन हुए। उस आंदोलन की चिगारी सीतापुर भी पहुंची। यहां से भी युवा तैयार हुए और आंदोलन में शामिल हुए। आज यह वृद्ध हो चुके हैं। लेकिन मंदिर आंदोलन की बात छिड़ते ही जोश से भर जाते हैं। अब जब शिलादान होने जा रहा है। मंदिर निर्माण की संकल्पना सकार रूप लेने जा रही है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। जब उनसे बात की गई तो कुछ इस प्रकार से खुशी व्यक्त की। मेरा भाग्य प्रबल
'बात 1984-85 की है। विश्व हिदू परिषद के द्वारा रामजानकी रथयात्रा निकाली गई थी। उसमें भगवान श्रीराम, माता सीता व श्री लक्ष्मण जी को जेल में बंद दिखाया गया था। तभी से मैं इस श्रीराम मंदिर आंदोलन से जुड़ा। उसके बाद जो भी अयोध्या में आंदोलन संघर्ष हुआ उसको मैंने अपनी आंखों से देखा है। मेरा भाग्य प्रबल है कि 80 वर्ष की आयु हो गई है और श्रीराम मंदिर को बनते देख रहा हूं। शायद मैं इसी दिन के लिए जीवित था। मैं अपनी प्रसन्नत व्यक्त नहीं कर सकता।'
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'बहुत अच्छा लग रहा है। 70 वर्ष की आयु है। 55 वर्ष से आरएसएस से जुड़ा हुआ हूं। विश्व हिदू परिषद की स्थापना हुई 1984 में हुई उसी दौरान रामजानकी रथ यात्रा निकली जिसमें मैं शामिल हुआ। 2 दिसंबर 1992 को मजदूर संघ के कार्यकर्ता उत्तराखंड से आए थे। उन्ही के साथ मालगाड़ी से गोंडा तक गया। गोंडा से पैदल अयोध्या पहुंचा। जहां ढांचा गिरने की घटना भी देखी। अब आज वह मेहनत सफल होने जा रही है। मुझे अपार खुशी है। आज मैं वास्तव में बहुत खुशनसीब हूं।'
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वर्ष 1990 में श्रीरामजन्म भूमि आंदोलन अपने चरम पर था। विश्व हिदू परिषद के द्वारा प्रभातफेरी निकाली जाती थी। मैं आरएसएस से बचपन से जुड़ा था। संघ ने राम मंदिर आंदोलन की बागडोर अपने हाथों में ले रखी थी। भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते अपने सहयोगियों के साथ लालबाग चौराहे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह का पुतला फूंका दिया। इसके लिए लखीमपुर जेल में बंद रहा। आज 70 वर्ष की आयु में करोड़ों हिदुओं के सपने को साकार रूप लेते देख रहा हूं। अपार खुशी है।
उमाकांत मिश्र, पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष