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प्रभात फेरी निकाल श्रीराम साधना आरण्यक निर्माण को भूमि पूजन

गायत्री परिवार के मुखिया ने भूमि पूजन व शिलान्यास कर बताया परम सौभाग्यशाली

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 11:10 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2020 06:10 AM (IST)
प्रभात फेरी निकाल श्रीराम साधना आरण्यक निर्माण को भूमि पूजन
प्रभात फेरी निकाल श्रीराम साधना आरण्यक निर्माण को भूमि पूजन

नैमिषारण्य (सीतापुर) : श्रीराम साधना आरण्यक भवन निर्माण के लिए नैमिष की धरती पर भूमि पूजन व शिलान्यास हुआ। सुबह सात बजे के दौरान प्रभात फेरी निकाली गई।

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अखिल विश्व गायत्री परिवार की तरफ से शुक्रवार से चल रहे भूमि पूजन कार्यक्रम में विभिन्न प्रांतों से साधकों का जमावड़ा लगा है। कार्यक्रम के दूसरे दिन शनिवार को सुबह सात बजे के दौरान प्रभात फेरी निकाली गई। इसकी अगुवाई गायत्री परिवार के मुख्य ट्रस्टी सुधाकर सिंह आदि प्रमुख सदस्यों ने की। प्रभात फेरी चक्रतीर्थ के समीप कार्यक्रम स्थल से निकलकर चक्रतीर्थ, मुख्य चौराहा, ललिता देवी मंदिर पहुंची। फिर वापस चक्रतीर्थ होते हुए कार्यक्रम स्थल लौटी। इसके बाद धर्म ध्वजारोहण कर देवपूजन के साथ ही 51 कुंडीय हवन यज्ञ किया गया।

भूमि पूजन व शिलान्यास कार्यक्रम में गायत्री परिवार के मुखिया एवं राज्य अतिथि दर्जा प्राप्त डॉ. प्रणव पांड्या शामिल रहे। इस अवसर पर मिश्रिख सांसद अशोक रावत भी मौजूद रहे। प्रवचन के दौरान डॉ. पांड्या ने साधकों से कहा कि, नैमिष तपोभूमि सृष्टि के सृजन का केंद्र है। जहां आदिपितृ मनु-सतरूपा ने भगवान विष्णु को साकार रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। इसी पवित्र भूमि पर सत्यनारायण कथा, चार वेद एवं अट्ठारह पुराणों की रचना महाराज वेद व्यास ने की थी। इसलिए यहीं पर सत्यनारायण कथा सुनने का विशेष महत्व है। हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग आरण्य है। नैमिष आरण्य अत्यंत अलौकिक एवं पौराणिक है। यहां पर सूक्ष्म से सूक्ष्म कणों में भी देवी-देवताओं का वास है। 88 हजार ऋषियों ने यहीं पर तपस्या की और सूतजी महाराज ने सत्यनारायण कथा कही थी।

डॉ. पांड्या ने कहा, नैमिष दानभूमि है, जहां पर महर्षि दधीचि ने वृत्तासुर का वध करने के लिए इंद्र को अपनी अस्थियों का दान दिया था। डॉ. पांड्या ने कहा, ये परम सौभाग्य है कि नैमिष तपोभूमि में श्रीराम साधना आरण्यक की स्थापना हो रही है। उन्होंने बताया, गायत्री मंत्र के आराध्य देवता सूर्य हैं। इसलिए इसे सूर्य साधना का भी मंत्र कहा जाता है। इस मंत्र का जप कोई भी मनुष्य नर-नारी या किसी भी वर्ण का व्यक्ति कर सकता है। बताया कि, श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि भगवान स्वयं इस मंत्र में वास करते हैं।


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