पीएम जन औषधि केंद्र की सेवाएं बंद, 'संजीवनी' की जरूरत
पांच लाख रुपये प्रति केंद्र की दर से बैंक गारंटी न जमा करने पर सेवा प्रदाता कंपनी सिस्टम से बाहर।
सीतापुर : जिला अस्पताल के प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र की सेवाएं बंद हो गई हैं। केंद्र में औषधियां नहीं हैं। आठ अप्रैल से इस केंद्र पर दवा की आवक बंद है। वैसे, लगभग हर पंद्रह दिन पर ढाई-तीन लाख रुपये की दवाओं की सप्लाई सेवा प्रदाता कंपनी करती थी। यही नहीं, यहां कार्य करने वाले फार्मासिस्टों को पिछले 13 महीने से मानदेय तक नहीं मिला है।
स्टेट नोडल एजेंसी साचीज (स्टेट एजेंसी फॉर कांप्रीहेंसिव हेल्थ एंड एंटीग्रेटेड सर्विसेज) ने चयनित वेंडर का टेंडर भी निरस्त कर दिया है। साचीज के उच्चाधिकारियों ने टेंडर निरस्त करने की कार्रवाई एक सितंबर को की है। असर ये हुआ है कि लखनऊ की संस्था से संचालित सीतापुर के जन औषधि केंद्र सहित कुल 47 केंद्रों की सेवाएं बंद हो गईं हैं। टेंडर निरस्त करने का कारण औषधि केंद्र की बैंक गारंटी न जमा करना बताया जा रहा है।
जरूरतमंदों के लिए मददगार थे जन औषधि केंद्र
जन औषधि केंद्र आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत संचालित हो रहे थे। इन औषधि केंद्रों पर जरूरतमंदों को बाजार भाव से 50 से 90 प्रतिशत सस्ती दरों पर दवाएं उपलब्ध हो जाती थीं। पिछले छह महीने से बिगड़ी व्यवस्था के कारण जन औषधि केंद्रों पर जरूरतमंदों को मायूस होकर बैरंग लौटना पड़ रहा है।
काउंटर से मायूस होकर लौट रहे रोगी-तीमारदार
शनिवार दोपहर साढ़े 12 बजे के दौरान जन औषधि केंद्र के काउंटर पर शहर के दुर्गापुरवा की रामेश्वरी एक सीरप लेने आईं थीं। फार्मासिस्ट आशीष शुक्ल ने रामेश्वरी से कहा, माताजी अब इस केंद्र पर दवाएं नहीं हैं। आप बाजार से खरीद लें। होलीनगर के दीपक अस्पताल का पर्चा लेकर काउंटर पर आ गए। इनसे भी फार्मासिस्ट प्रज्जवल पांडेय ने आशीष की तरह ही जवाब दिया।