चिकित्सीय सेवाएं बदहाल, फर्श पर मरीज, डाक्टरों का पता नहीं
ओपीडी में कोई डाक्टर नहीं मिला दिखाने व दवा लेने आए मरीज करते रहे इंतजार बेड के अभाव में मरीज फर्श पर थे लेटे।
राघवेंद्र वाजपेयी, महोली (सीतापुर)
सुबह 10. 30 बजे थे, डिस्पेंसरी व पर्चा काउंटर खुला था। बरखेरवा की मानसी टाइफायड की दवा लेने आईं थीं। 10.40 बजे ओपीडी में एक भी डाक्टर नहीं था। मुड़िया गांव के सूरज कोविड जांच के लिए इंतजार कर रहे थे। चड़रा के हरजीत सिंह कोविड की दूसरी डोज के लिए आए थे। कोविड डेस्क पर कोई कर्मचारी नहीं था। स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी का कमरा बंद था।
आयुष्मान कार्ड की जानकारी के लिए लोग टहल रहे थे, कर्मचारी नहीं था। इंद्रौली के चरंजू पत्नी उमा की नसंबदी कराने आए थे। कई महिलाएं नसबंदी के लिए टीम का इंतजार करती मिली। बसारा गांव की रीना का बुधवार को प्रसव हुआ था। बेड न होने के कारण फर्श पर लेटी थी। गुलरहिया की संगीता, चमखर की शांती देवी, कुईयाडीह की शबनम, गाजीपुर की नीरज, जगदेवा की उमा फर्श पर बैठी मिली। चड़रा के श्रीकृष्ण ने बताया हाथ में दर्द बहुत है। दवाई लेने आए तो यहां ओपीडी में कोई डाक्टर नहीं मिला। बरबटापुर के देवशंकर भी डाक्टर का इंतजार करते मिले। अमिलिया के शिवपूजन जन्म प्रमाणपत्र लेने आए थे, कर्मचारियों के आने का इंतजार करते मिले। कंप्यूटर कक्ष में भी कर्मचारी नहीं था। सीएचसी में दो एंबुलेंस खराब खड़ी थीं।
अधीक्षक डा. इमरान अली ने बताया कि मैं तो जिला मुख्यालय आया था। अन्य डाक्टर ओपीडी में क्यों नहीं थे, इसका स्पष्टीकरण लिया जाएगा। बेड की कोई कमी नहीं है। फर्श पर तीमारदार लेटे होंगे।
सात डाक्टरों की तैनाती :
अधीक्षक डा. इमरान अली, डा. मोहित पाल, डा. देविना शर्मा, डा. दिव्या मिश्रा, डा. मुसर्रत, डा. दिव्या गुप्ता, डा. विनोद यादव की तैनाती है। 11 बजे तक कोई डाक्टर नहीं आया था। पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता वीरेंद्र विक्रम त्रिवेदी, नेत्र परीक्षण अधिकारी सहित कई कर्मचारी नदारद थे। बीसीपीएम सुधीर शुक्ला, धीरेंद्र वर्मा, फार्मासिस्ट राजीव मिश्रा, देवेंद्र मिश्रा, टीबी कक्ष में अखिलेश शुक्ला उपस्थित थे। इमरजेंसी व ओपीडी रोस्टर में डाक्टरों का नाम नहीं है। सिर्फ फार्मासिस्टों व वार्ड ब्वाय के नाम थे।
हर माह 300 प्रसव :
36 आक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं। पांच दस लीटर और 31 पांच लीटर में हैं। अस्पताल में चार आक्सीजन सिलिडर हैं। सीएचसी में आक्सीजन प्लांट बन चुका है। सीएचसी में हर माह औसतन 300 प्रसव होते हैं।
एक्सरे की सुविधा नहीं :
अस्पताल में एक्सरे व अल्ट्रासाउंड की सुविधा उपलब्ध नहीं है। मरीज परेशान होते हैं। एंबुलेंस से गंभीर मरीज आने पर जिला मुख्यालय रेफर कर दिया जाता है। टीबी मरीज एक्सरे के लिए जिले तक दौड़ते हैं।
ये जांच सुविधाएं :
सीएचसी में टीबी, हीमोग्लोबिन, टाईफाइट, मलेरिया, एचआइवी, हेपेटाइटिस-बी, शुगर, सिफ्लिस, ब्लड गुप, प्रेग्नेंसी, यूरिन, शुगर प्रोटीन की जांच सुविधा है।
आवास जर्जर :
सीएचसी में टाइप-4 के चार आवास व टाइप-2 के छह, टाइप-1 के छह आवास हैं। आवास जर्जर हैं, बारिश में छत टपकती हैं। दीवारों का प्लास्टर उखड़ रहा है, कमरों में सीलन है। आसपास झाड़ी व गंदगी है।