अपनों के लिए नापसंद परिषदीय विद्यालय
संवादसूत्र, सीतापुर : 60 हजार रुपये तक की पगार उठाने वाले सरकारी स्कूलों के गुरुजी अपने ब
संवादसूत्र, सीतापुर : 60 हजार रुपये तक की पगार उठाने वाले सरकारी स्कूलों के गुरुजी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में तालीम दिलाना बेहतर समझते हैं। सरकार से मोटा वेतन लेकर बच्चों को निजी स्कूल भेजने वाले शिक्षकों की यह शैली परिषदीय विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता बताने के लिए पर्याप्त है। शिक्षक ही नहीं अफसरों, माननीयों, ठेकेदारों व बड़े व्यापारियों को भी लग चुका है। सरकारी स्कूलों में शैक्षिक माहौल बनाने व बेहतर शिक्षा के लिए जिम्मेदार ¨ढढोरा भले ही पीट रहे हों लेकिन, इस दिशा में एक कदम भी कोई आगे नहीं चल सका है।
पिसावां ब्लॉक के एक प्राथमिक विद्यालय के एक शिक्षक के दोनों बच्चे शहर के बाइपास स्थित सीबीएसई द्वारा संचालित स्कूल में तालीम ले रहे हैं। बच्चों के लिए उन्होंने गांव का मकान छोड़कर परिवार सहित किराये के मकान में रह रहे हैं। मुख्यालय से उनका विद्यालय दूर है और वह अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए एक सैकड़ा बच्चों वाले परिषदीय विद्यालय में हर रोज देरी से पहुंचते हैं। गांजर में तैनात एक खंड शिक्षा अधिकारी अपने भतीजे का सीबीएसई स्कूल में दाखिले के लिए शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के कार्यालय में पहुंचे। विद्यालय का नाम लिया तो अफसर ने उस विद्यालय में एडमीशन के लिए पैरवी करने से साफ इंकार कर दिया। हालांकि वह अब शहर के सीबीएसई द्वारा संचालित दूसरे विद्यालय में दाखिला कराने के लिए आवेदन किया है। शहर के अधिकांश अफसर, बड़े व्यापारी व ठेकदार अपने बच्चों का दाखिला शहर के नामी-गिरामी आईसीएसई द्वारा संचालित विद्यालय में करा चुके हैं। इस विद्यालय में नो इंट्री का बोर्ड तो लग चुका है लेकिन बच्चों के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने का मोह उन्हें स्कूल की दहलीज तक पहुंचने के लिए मजबूर कर रहा है। दाखिले के बाद निजी स्कूलों की भारी-भरकम फीस, पाठ्यक्रम व अन्य संसाधनों का बंदोबस्त तो करते हैं, लेकिन अपने दायित्वों के प्रति सजग नहीं हो रहे हैं।
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सरकारी शिक्षक होते हुए भी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में शिक्षा दिलाना गलत है। हम सुधरेंगे तभी सुधार होगा। प्रशिक्षित शिक्षक होने के बाद भी अप्रशिक्षित शिक्षकों पर भरोसा करना गलत है। जबकि प्रशिक्षित शिक्षक बेहतर शिक्षा देने में स्वयं सक्षम है।
राजकिशोर ¨सह, अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ चित्र-08एसआइटी35-
शिक्षकों से सरकार जनगणना, पल्स पोलिया, वोटर लिस्ट बनाना, बीआरसी पर किताबें उठाने जैसे गैर शिक्षण कार्य कराए जा रहे हैं। जिससे सरकारी शिक्षक स्कूलों में बच्चों को समय कम दे पाता है। अधिकारी अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कराएं तो वह शिक्षकों की समस्या से खुद ही रूबरू हो जाएंगे।
रवींद्र दीक्षित, जिला मंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ चित्र-08एसआइटी36-
नौकरी मिलने के बाद कार्य में लापरवाही सामने आती रही है। अपने कार्य के बजाए दूसरों पर भरोसा करना गलत है। अधिकारियों को देखकर कर्मचारी व शिक्षक भी अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में कराते हैं।
डॉ. मुस्तफा अली, संयुक्त मंत्री जूनियर शिक्षक संघ चित्र-08एसआइटी37-
हमारा अध्यापक पहले से सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराने को तैयार है। तमाम शिक्षकों के बच्चे सरकारी स्कूलों में शिक्षा भी ग्रहण कर रहे हैं। अधिकारी अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कराकर पहल करें तो सभी उसका अनुसरण करने लगेंगे।
मनीष पांडेय, प्रदेश प्रवक्ता जूनियर शिक्षक संघ