अहिसा परम धर्म और परनिंदा महा पाप : मोरारी बापू
कथावाचक ने काक भुसुंडि व गरुण संवाद का किया मोहक वर्णन।
सीतापुर : गोशाला के निकट स्थित मैदान पर आयोजित श्रीराम कथा के सातवें दिन शुक्रवार को प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू ने काक भुसुंडि व गरुण संवाद का मोहक वर्णन किया। उन्होंने बताया कि वेदों में अहिसा को परम धर्म माना गया है और परनिदा को महा पाप की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए परनिदा के समान भारी पाप कोई नहीं है।
कथावाचक ने कहा कि भगवान शंकर और गुरु की निदा करने वाला मनुष्य अगले जन्म में मेंढक होता है। वह एक हजार जन्म तक मेंढक का ही शरीर प्राप्त करता है। ब्राह्मणों की निदा करने वाला व्यक्ति बहुत से नरक भोगने के बाद संसार में कौवा का शरीर धारण करता है। ऐसे ही देवताओं और वेदों की निदा करने वाला अभिमानी मनुष्य नरक में जाता है। संतों की निदा पर उल्लू का रूप मिलता है, जिन्हें मोह रूपी रात्रि प्रिय होती है और ज्ञान रूपी सूर्य जिनके लिए बीत गया होता है। मूर्ख मनुष्य सब की निदा करते हैं, जो कि चमगादड़ के रूप में जन्म लेते हैं। काक भुसुंडि ने गरुड़ जी से कहा कि यह व्याख्या नहीं, अनुभव है।
कथावाचक मोरारी बापू ने राम नाम विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि राम नाम अनंत कोटि सागरों का स्त्रोत है। राम नाम सुखदाता है, राम नाम जिसके मुख से धोखे में भी निकल पड़े, उस मनुष्य या जीव का सर्वथा कल्याण निश्चित है। इसलिए मैं ऐसे मनुष्य को प्रणाम करता हूं, राम नाम का भजन ही सत्य है। बाकी सब असत्य है। इसलिए राम को भजते हुए अपने संपूर्ण जीवन का निर्वाह करें। इसी में सभी का कल्याण है।
श्रीराम कथा के इस प्रसंग के अवसर पर तीर्थ के संत और महंत के अलावा श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा का शुभारंभ व्यास पूजन से हुआ और समापन आरती के साथ किया गया।