शेल्टर होम ही बेसहारा, खाना न ही राशन
पुराने सीतापुर का शेल्टर होम बेसहारा है। भोजन की व्यवस्था है न ही राशन की।
सीतापुर : पुराने सीतापुर का शेल्टर होम बेसहारा है। भोजन की व्यवस्था है न ही राशन की। सब्जी, मसाला या दाल भी नहीं है। किचन में चूल्हा व एक घरेलू सिलिडर है। यहां आश्रय पाने वालों के लिए भोजन इधर-उधर से जुटाना पड़ता है। लॉकडाउन में जिन प्रवासियों को इस शेल्टर होम में सहारा मिला था, उनके भोजन व्यवस्था में ये शेल्टर होम कर्जदार हो गया है। ऐसे में अब शेल्टर होम के नाम पर आसपास के दुकानदार उधारी भी नहीं देते। वैसे 50 व्यक्तियों की क्षमता वाला ये शेल्टर होम तीन मंजिला है। शेल्टर होम के इंट्री रजिस्टर में गोलमाल
शेल्टर होम में आश्रय पाने वाले की इंट्री रहती है। आश्रय पाने वालों की संख्या रजिस्टर पर हर रोज लिखी जाती है। रजिस्टर देखने से पता चलता है कि यहां हर रोज औसतन 20 नए लोगों को सहारा मिलता है। वैसे मंगलवार दोपहर शेल्टर होम के भूतल पर जमीन पर कंबल लपेटे एक बुजुर्ग महिला लेटी थी। इसके अतिरिक्त शेल्टर होम में कोई भी दूसरा लाभार्थी नहीं था। सभी कमरे खाली थे। बेडों पर चादरें लगी थीं, रजाईयां रखी थीं।
हाल ही में लाई गई दो महिलाएं मिलीं बाहर
दो बेसहारा महिलाओं को कुछ दिनों पहले शेल्टर होम लाया गया था। इसमें एक महिला सुधा देवी को सोमवार को शहर कोतवाल शेल्टर होम में आश्रय दिलाए थे, जबकि कैंची पुल के पास की बेसहारा बांग्लोदशी महिला को एसडीएम सदर शेल्टर होम में आश्रय दिलाया था। सुधा देवी कोट चौराहे की तरफ आती हुई मिलीं। बांग्लादेशी महिला अपनी गठरी के साथ शेल्टर होम के बाहर सड़क किनारे मिली।
जानकारी देने में भी बहानेबाजी
प्रबंधक एमएस कादरी का कहना है कि शेल्टर होम में भोजन व्यवस्था नहीं है। रसोइया नहीं है। प्रभारी हारिश जमाल अवकाश पर हैं। अभिलेख उन्हीं के पास हैं। ऐसे में हारिश से फोन पर संपर्क किया गया, उन्होंने कहा अभिलेख कादरी के पास हैं। फिर प्रभारी-प्रबंधक की फोन पर बात कराई गई। प्रबंधक कादरी ने बताया, भोजन के चक्कर में में 90 हजार रुपये का कर्ज हो गया है।
वर्जन-
शेल्टर होम में भोजन की सुविधा तय नहीं है। हां, किचन में गैस सिलिडर, चूल्हा व बर्तन की जरूर व्यवस्था है। बकाया भुगतान को शासन में डिमांड की है।
- विशाल भारद्वाज, डीएम