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बचने के लिए पैंतरेबाजी, कई सवाल अब भी अनसुलझे

दोषसिद्ध अभियुक्त जून 2020 में पहुंचे थे जेल तीन सजायाफ्ता पैरोल पर हैं छूटे। अवधेश व उसका बहनोई काट रहे सजा पिता की हत्या के शक में किया था मर्डर।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 11:21 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 11:21 PM (IST)
बचने के लिए पैंतरेबाजी, कई सवाल अब भी अनसुलझे
बचने के लिए पैंतरेबाजी, कई सवाल अब भी अनसुलझे

सीतापुर : रूप नारायण त्रिवेदी हत्याकांड में उम्रकैद में जेल काट रहे अवधेश को शीर्ष अदालत का वह निर्णय याद आ गया है जिसमें आरोपित को नाबालिग होने का मुद्दा किसी भी समय उठाने की छूट है। इस फैसले के तहत सजायाफ्ता अवधेश अपनी सजा कम करने की याचना सुप्रीम कोर्ट में की है। शीर्ष अदालत ने संज्ञान भी लिया है। जस्टिस ने सत्र न्यायाधीश से अवधेश के दावों की जांच कर दो महीने में रिपोर्ट तलब की है।

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अवधेश ने शीर्ष अदालत में कहा है कि जब रूप नारायण त्रिवेदी की हत्या हुई, उस वक्त वह महज 16 साल का था। वारदात के 40 वर्ष और दोषसिद्ध होने के 36 साल बाद अब खुद को नाबालिग बताकर अवधेश ने सजा कम करने की याचना की है। वैसे वारदात के बाद करीब 34 साल तक हत्याकांड के दोषसिद्ध सभी पांचों अभियुक्त जमानत पर ही रहे हैं। ये लोग जून 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपील खारिज होने के बाद से सीतापुर जेल में निरुद्ध हैं। इनमें लहरपुर की पिपरिया कलां के मजरा उमरिया कलां के अवधेश व उनके सगे चाचा पतिराखन त्रिवेदी, अवधेश का उमरिया खुर्द निवासी बहनोई शिवपूजन और खजुरिया निवासी बुआ के दो बेटे महेश प्रसाद व उमांशकर उम्रकैद की सजा पाए हैं। इनमें अभियुक्त पतिराखन व इनके दोनों भांजे महेश प्रसाद व उमाशंकर पैरोल पर हैं। वर्तमान में अवधेश व उसका बहनोई शिवपूजन जेल में है।

पिता का शव मिला, न ही रूप नारायण का सिर :

भदफर पुलिस चौकी इंचार्ज जितेंद्र कुमार ने बताया, 15 जुलाई 1981 के दिन शाम के चार बजे के बीच शाहपुर बाजार में रूप नारायण त्रिवेदी की गला रेतकर हत्या हुई थी। इनका सिर आज तक नहीं मिला। इस हत्याकांड में रूप नारायण के भाई जगदीश ने पतिराखन, अवधेश, शिवपूजन, महेश प्रसाद व उमांशकर के विरुद्ध मुकदमा लिखाया था। इस हत्या का कारण अवधेश के पिता गोकरन की हत्या होना बताया जा रहा है। फिलहाल, गोकरन का शव बरामद ही नहीं हुआ, न उनका पता चला। अवधेश को शक था कि उसके पिता को रूप नारायण ने ही मारा डाला है। पिता के लापता होने के 11 साल बाद अवधेश ने चार अन्य लोगों के साथ मिलकर रूप नारायण को मार डाला था।


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