नदी की धार में बह गए वादों के पुल
सीतापुर गांजरी क्षेत्र में बड़ी समस्या बाढ़ और कटान की है। शारदा-घाघरा नदी यहां से गु
सीतापुर : गांजरी क्षेत्र में बड़ी समस्या बाढ़ और कटान की है। शारदा-घाघरा नदी यहां से गुजरती हैं। लहरपुर, बिसवां व महमूदाबाद के सैकड़ों गांव इस समस्या से प्रभावित हैं। हर चुनाव में बाढ़-कटान मुद्दा बनता है। चुनाव होते ही इस समस्या का शोर शांत हो जाता है।
सियासी वादों के पुल चुनाव परिणाम आने के बाद नदियों की धार में बह जाते हैं। हर वर्ष घाघरा-शारदा कहर बरपाती हैं। हजारों परिवार बाढ़ कटान से बेघर हो जाते हैं। कटान में घर-जमीन खो चुके पीड़ित परिवार सड़क किनारे, खेत-खलिहानों में शरण लिए हैं। हजारों बीघा कृषि भूमि नदी में बह गई। घर व जमीन से बेघर होकर पीड़ित मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करने को विवश हैं। इन पीड़ित परिवारों को आज तक रहने के लिए न तो जमीन मिल पाई, न ही आवास। गोलोक कोड़र, दुर्गापुरवा फौजदार पुरवा, कोनी पुरवा, निर्मल पुरवा, सिसैया बाजार, मरेली, नगीना पुरवा, टिब्बा, बिल्लरपुरवा, मेड़ई पुरवा, आसाराम पुरवा, गोड़ियन पुरवा, अयोध्या पुरवा, पासिन पुरवा, खुशी पुरवा, जैसे कई गांवों का अस्तित्व घाघरा और शारदा नदियों में मिट गया। बढ़ईनपुरवा व शेखूपुर के कटान पीड़ित 135 परिवार संपर्क मार्गों किनारे तिरपाल व पालीथिन में रह रहे हैं। दिन में खेतों में मजदूरी कर जो पैसे मिलते हैं, उससे परिवार का खर्च चला रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पानी, बिजली, सड़क, शौचालय, आवास जैसी समस्या हैं। आवागमन के लिए रास्ते तक नहीं हैं। बाढ़ से पहले जहां डामर रोड थी, वहां आज गहरे रेन कट हैं। ऐसे दुर्गम रास्तों पर आगमन बंद है। बाढ़-कटान से लोगों के बचाव और उन्हें राहत सामग्री के नाम पर हर वर्ष भारी रकम खर्च होती है। बाढ़-कटान के प्रभाव को कम करने को कच्चे कार्यों पर भी हर वर्ष काफी रकम खर्च होती है। प्रभावित गांवों की बड़ी संख्या काशीपुर, मल्लापुर, श्रीराम पुरवा, पासिन पुरवा, धूस पुरवा, मल्लापुर, काशीपुर, सुकेठा, बसंतापुर, दुर्गापुरवा, बजहा, कोनी, पचीसा जैसे सैकड़ों गांव हैं। यह गांव बेहटा, लहरपुर, सकरन, बिसवां, रेउसा, रामपुर मथुरा विकास क्षेत्रों में आते हैं। चित्र-24एसआइटी08-
बाढ़ कटान में घर व खेत खो चुके हैं। जमीन के लिए तहसील प्रशासन से कई बार गुहार लगाई। आज तक मदद नहीं मिल सकी। खेत कटने का मुआवजा भी नहीं मिला। प्रशासन रहने के लिए जमीन व आवास दे तो भला हो जाए।
- पुत्तीलाल, बढ़ईनपुरवा चित्र-24एसआइटी09-
घर व खेत नदी की कटान में बह गया है। सड़क के किनारे झोपड़ी डालकर रहते हैं। आवास के लिए अधिकारियों से मांग की, आश्वासन ही मिला है। पता नहीं कब बाढ़ पीड़ितों की सुध ली जाएगी।
- अशोक कुमार, बढ़ईनपुरवा चित्र-24एसआइटी10-
बाढ़ पीड़ितों के दर्द को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं करता। सड़क के किनारे से लेकर खेतों तक में शरण लिए हैं। जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। सरकारी मदद न मिलने से प्रभावित परिवार विस्थापित होकर रह गए हैं।
- शिवरात्री देवी, बढ़ईनपुरवा चित्र-24एसआइटी11-
शारदा नदी की कटान में घर बह गया। पति व दो बच्चों के साथ तिरपाल डालकर किशोर मार्ग पर रहने को विवश हैं। किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया गया। लग रहा है कि सड़क किनारे ही जिदगी गुजर जाएगी।
- कामिनी, बढ़ईनपुरवा