संसाधनों के अभाव में 'बहक' रहा यातायात
सीतापुर यातायात नियमों का पालन कराने और उल्लंघन रोकने में ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग दोनों के पास खुद की कई समस्याएं हैं। एक तो इनके पास मैन पॉवर का अभाव है दूसरे कुछ बात इच्छाशक्ति की भी है।
सीतापुर : यातायात नियमों का पालन कराने और उल्लंघन रोकने में ट्रैफिक पुलिस व परिवहन विभाग दोनों के पास खुद की कई समस्याएं हैं। एक तो इनके पास मैन पॉवर का अभाव है, दूसरे कुछ बात इच्छाशक्ति की भी है।
शहर में कई ऐसे प्वाइंट हैं जहां जाम लगता है। फिर भी उन स्थलों पर ऐसे कोई उपाय अब तक नहीं किए गए हैं जिससे कि जाम न लगे। लालबाग में अग्रसेन पार्क से नगर पालिका कार्यालय तक मार्ग के दोनों तरफ के किनारे टैक्सी-बाइक स्टैंड की तरह दिखते हैं। ड्राइविग लाइसेंस बनने की प्रक्रिया
लर्निंग बनने के बाद 30 दिन के बाद और 180 दिन के अंदर नियमित लाइसेंस बनता है। नियमित लाइसेंस की अवधि समाप्त होने पर वह नवीनीकरण की श्रेणी में आ जाता है। ऑनलाइन प्रक्रिया में लर्निंग के तीन स्लॉट हैं। कोविड प्रोटोकॉल के तहत स्लॉटों की समय-सीमा तय कर दी गई है। पहला स्लॉट का समय सुबह 10 से 12 बजे तक, दूसरा स्लॉट 12.30 से 2.30 बजे तक और तीसरे स्लॉट का समय तीन से पांच बजे तक का है। आवेदन ऑनलाइन करने के दौरान ऑपरेटर आवेदक से पूछता है कि आप किस दिन एआरटीओ ऑफिस आएंगे और किस समय के स्लॉट में उपस्थित रहेंगे। एक शिफ्ट में लर्निंग के 66, नियमित लाइसेंस के 33 और नवीनीकरण के 15 स्लॉट हैं। इस तरह प्रत्येक तरह के लाइसेंस के हर कार्यदिवस में तीन-तीन स्लॉट हैं।
स्लॉट तय होने व लाइसेंस बनने में दिक्कतें
आवेदन करने, स्लॉट व समय निर्धारण के बाद यदि आवेदक समय से एआरटीओ ऑफिस नहीं पहुंच पाता है तो उसे ऑनलाइन अगली डेट लेनी होती है। इसमें आवेदक का भी समय खराब होता है। स्लॉट बुकिग में लंबी तारीखें मिलने का एक कारण ये भी है। इसमें एक दिक्कत और आती है कि यदि नियमित लाइसेंस की अवधि अगले दो-तीन दिन में समाप्त हो रही है और आपको स्लॉट बुकिग में लंबी तारीख मिल गई है तो तब तक के दिनों में क्या आप बिना लाइसेंस के ही वाहन चलाएंगे। एआरटीओ-प्रशासन कहते हैं अवधि बीतने के बाद भी अगले एक महीने तक उसका लाइसेंस मान्य रहता है। शनिवार तक लंबित ऑनलाइन आवेदन
लाइसेंस - आवेदक
लर्निंग - 4554
परमानेंट - 1683
नवीनीकरण - 1980 शनिवार को हुए आवेदन को मिली तारीख
लाइसेंस - एआरटीओ ऑफिस आने की तारीख
लर्निंग - 21 दिसंबर
परमानेंट - 15 दिसंबर
नवीनीकरण - 11 जनवरी स्लॉट तय होने और सर्वर न चलने से दिक्कतें
एआरटीओ-प्रशासन प्रवीण कुमार सिंह कहते हैं कि ऑनलाइन लाइसेंस और उसमें भी स्लॉट तय होने से तकनीकी दिक्कतें हैं। सर्वर नहीं चलता है। स्लॉट का भी मामला रहता है। जिस दिन सर्वर नहीं चलता है उस दिन जो भी आवेदक ऑफिस आते हैं, उन्हें दोबारा ऑनलाइन डेट लेनी होती है। सर्वर स्लो होने से हर रोज लर्निंग के लगभग 40, नियमित के 20 और नवीनीकरण के पांच-छह आवेदक लौट जाते हैं। इसमें कुछ आवेदक तो ऐसे होते हैं जिन्हें कोई निजी काम पड़ गया तो इसलिए नहीं आए। यदि किसी आवेदक का नवीनीकरण या लर्निंग लाइसेंस का नियमित होना है और उसकी तिथि समाप्त होने वाली है इस स्थिति में यदि आवेदन ऑनलाइन हो गया तो उसके लिए कोई दिक्कत नहीं रहती है। बशर्ते समय से वह आवेदन ऑनलाइन कर चुका हो। संसाधन नहीं, मैन पॉवर का भी अभाव : टीआइ
ट्रैफिक निरीक्षक सत्येंद्र राय का कहना है कि यातायात नियमों का पालन कराने व उल्लंघन रोकने के लिए ई-चालान हो रहे हैं। हादसे में यदि कोई वाहन क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उसे उठाकर सुरक्षित स्थान तक लाने वाली गाड़ियां हमारे पास नहीं हैं। शहर के प्रमुख एवं आंतरिक मार्गों पर पॉर्किंग नहीं है। वैसे यातायात व्यवस्थित करने में इधर काफी कुछ मेहनत हुई है। परिणाम भी अच्छे दिख रहे हैं। अब 80-95 प्रतिशत लोग सफर में हेलमेट लगाए दिखते हैं। कार सवार भी सीट बेल्ट लगाने लगे हैं। जागरूकता बढ़ी है। मैन पॉवर की बात करें तो हमारे पास सिर्फ चार कांस्टेबल हैं, जबकि जरूरत कम से कम 15 कांस्टेबल की है। यातायात पुलिस के पास एक वाहन है, वह भी काफी पुराना हो गया है। सिर्फ दो अधिकारी हैं..
एआरटीओ-प्रशासन का कहना है कि यातायात नियमों को पालन कराने के लिए जागरूकता कार्यक्रम हो रहे हैं। उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध काफी कुछ कार्रवाइयां हुई हैं। रही बात संसाधन की तो जिले में एआटीओ-प्रवर्तन के दो पद स्वीकृत हैं। इसमें एक पद पिछले दो साल से रिक्त है, जबकि प्रवर्तन कार्य के लिए जिले में 10-15 अधिकारियों की जरूरत है। ब्लॉक स्तर पर पीटीओ नियुक्त होने चाहिए। कुछ नहीं है, सिर्फ जिले में दो अधिकारी एक एआरटीओ-प्रशासन व दूसरे एआरटीओ-प्रवर्तन तैनात हैं।