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सुबह जांच तो दोपहर में रिपोर्ट के लिए धक्का-मुक्की

जांच कक्ष के दरवाजे पर भीड़ एकत्र रहने से मरीजों को उठानी पड़ रहीं दिक्कतें। जिला अस्पताल में जांच व रिपोर्ट के लिए प्रतिदिन होती है जंग।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Nov 2021 11:33 PM (IST)Updated: Tue, 09 Nov 2021 11:33 PM (IST)
सुबह जांच तो दोपहर में रिपोर्ट के लिए धक्का-मुक्की
सुबह जांच तो दोपहर में रिपोर्ट के लिए धक्का-मुक्की

सीतापुर : भइया, मेरी रिपोर्ट दे दीजिए। अरे मेरा पर्चा कहां है। थोड़ा किनारे हो जाओ, कहां घुसे चले आ रहे हो। हमें भी रिपोर्ट लेनी है, किनारे हटो। ये आवाजें और धक्का-मुक्की का नजारा जिला अस्पताल स्थित लैब के बाहर दोपहर दो बजे दिखा। कक्ष के दरवाजे पर जांच रिपोर्ट लेने वालों की भीड़ जमा थी, जिसे लेने के लिए तीमारदार आपस में धक्का-मुक्की कर रहे थे। काफी देर बाद एक कर्मचारी जांच रिपोर्ट लेकर आया और मरीजों का नाम पुकारना शुरू किया।

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वहीं, जांच रिपोर्ट के लिए लगी भीड़ को छंटने में तकरीबन एक घंटे का समय लग गया। विनोद, जयप्रकाश, अनीता, संजय को जांच रिपोर्ट मिली तो उनके चेहरे पर राहत के भाव नजर आए। यह नजारा दोपहर और सुबह दोनों समय दिखता है। सुबह जांच का सैंपल देने के लिए भी भीड़ जुटती है।

सीएमएस डा. एके अग्रवाल ने बताया कि जांच के लिए भीड़ जुटती है। व्यवस्थित करने के लिए कोतवाल से मदद मांगी है। पुलिसकर्मी आ जाएं तो भीड़ व्यवस्थित हो और काम जल्दी हो जाए। वहीं, चिल्ड्रेन वार्ड में भर्ती होने वाले बुखार पीड़ित बच्चों की संख्या में कमी आई है।

जान-पहचान वालों को दी जाती सहूलियत :

जांच कराने और रिपोर्ट निकालने वालों से जान-पहचान है तो आपको सहूलियत मिल सकती है। ऐसे में कतार में खड़े हुए बिना या किसी रोक-टोक के जांच कक्ष में आसानी से प्रवेश मिल जाता है। इसी प्रकार रिपोर्ट भी बिना किसी झंझट के मिल जाती है। मंगलवार दोपहर के वक्त भी कई लोग अंदर से जांच रिपोर्ट लेकर निकले। वहीं, कक्ष के दरवाजे पर लोग खड़े रह गए।

कम नहीं हो रहा बुखार का प्रकोप :

बुखार-जुकाम, खांसी व सांस में तकलीफ के रोगियों की संख्या कम नहीं हो रही है। बुखार पीड़ित बच्चे जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। चिल्ड्रेन वार्ड में भर्ती आशीष को बुखार के साथ झटके आ रहे हैं, उसकी माता ने बताया कि सोमवार रात हालत बिगड़ने पर उसे भर्ती कराया गया। मछरेहटा के राजपुर में रहने वाली पांच वर्षीय बबिता दस दिनों से उपचाराधीन है। उसकी मां के मुताबिक बबिता की तबीयत में अब तक खास सुधार नहीं हुआ। अल्ट्रासाउंड बंद, मशीन सही, डाक्टर नदारद

सीतापुर : जिला अस्पताल व महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने वाले मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है। ऐसे में मरीज निजी केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड कराने को मजबूर हैं। जिला महिला अस्पताल में दूर-दराज से महिलाएं आती हैं।

बहरहाल, यहां पर अल्ट्रासाउंड मशीन खराब होना बताया जा रहा है। ऐसे में इन महिलाओं को जांच कराए बगैर लौटना पड़ रहा है। वहीं, सीएमएस कहना है कि जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन तो ठीक है, मगर डाक्टर नहीं आ रहे हैं।

..आखिर कहां जाएं :

रेडियोलाजिस्ट डा. इंद्र कुमार ने बताया कि जिला अस्पताल में दो पद हैं, लेकिन सिर्फ एक पर ही चिकित्सक की तैनाती है। जिला अस्पताल में ही बहुत कार्य है, ऐसे में महिला अस्पताल में कैसे कार्य कर सकता हूं।

मशीन सही, नहीं आते डाक्टर :

जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डा. सुषमा कर्णवाल का कहना है कि अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन सही है, मगर यहां डाक्टर नहीं आते हैं। कई बार नोटिस दी गई है। बुधवार को फिर से रिमाइंडर भेजा जाएगा।

समस्या का होगा निस्तारण :

सीएमओ डा. मधु गैरोला ने बताया कि अल्ट्रासाउंड मशीन खराब होने के बारे में जानकारी नहीं थी, मामला संज्ञान में आया है, जल्द ही समाधान किया जाएगा।


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