सदर सीट पर पहले चुनाव में हाकिम बने थे विधायक
सबसे अधिक पांच बार राजेंद्र गुप्ता रहे विधायक राधे भी जीते चार चुनाव। फिर आई नया विधायक चुनने की घड़ी 3.95 लाख वोटर करेंगे मतदान।
निर्मल पांडेय, सीतापुर
सदर विधान सभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस के हाकिम बशीर अहमद को जनता ने विधान सभा में भेजा था। 1957 में कांग्रेस के हरीश चंद्र विधायक बने। 1962 में कांग्रेस को हराकर शारदा नंद विधायक बने थे। 1967 में टी. प्रसाद ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1969 और 1974 में कांग्रेस के श्याम किशोर ने अपना परचम लहराया। 1974 के बाद इस सीट पर कांग्रेस नहीं जीत सकी। 1977 में जनता पार्टी के राजेंद्र कुमार गुप्ता यहां से विधायक बने। इस क्षेत्र में स्वर्गीय राजेंद्र गुप्ता सर्वाधिक पांच बार विधायक बनें।
इनके बाद चार बार विधायक राधेश्याम जायसवाल रहे। 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े राकेश राठौर ने सपा के राधेश्याम जायसवाल को 24,839 मतों से पराजित किया था। राकेश राठौर को 98850 और राधेश्याम जायसवाल को 74011 वोट मिले थे। यह सीट कभी आरक्षित नहीं रही। इससे पहले 1996 के चुनाव से 2012 तक समाजवादी पार्टी का सीतापुर सीट पर दबदबा रहा।
उम्मीदवारों को चाहिए इनका साथ :
सीतापुर विधान सभा क्षेत्र में कुल मतदाता 3,95,416 हैं। इसमें 2,09,055 मतदाता पुरुष, 1,86,331 महिला और 30 थर्ड जेंडर वोटर हैं। बच्चों से पोस्टर लगवाया तो खैर नहीं
सीतापुर : चुनाव में बच्चों से पोस्टर-बैनर लगवाया तो खैर नहीं होगी। इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने गंभीरता दिखाई है।
आयोग की चेयरपर्सन प्रियंका कानूनगो ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश जारी किए हैं। आयोग का मानना है कि उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान बच्चों का उपयोग करते हैं। इनसे पोस्टर चस्पा कराते हैं। पंफ्लेट बंटवाते हैं। गांव-गलियारों में नारेबाजी कराते हैं। अभियान व रैली और चुनावी सभाओं में उनका प्रयोग करते हैं। बैनर टंगवाते हैं। इस तरह के मामलों में बच्चों के बाल अधिकारों का अपमान होता है। उनके अधिकारों का उल्लंघन एव कोविड महामारी से बचाने के लिए जरूरी है कि चुनावी अभियानों से बच्चों के उपयोग को सख्ती से रोका जाए। उधर, इस मामले में मुख्य निर्वाचन अधिकारी की तरफ से अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी चंद्र शेखर ने जिला निर्वाचन अधिकारी को निर्देश जारी किए हैं।
निर्देशों के अनुपालन के लिए टीमें कर रही निगरानी :
उप जिला निर्वाचन अधिकारी राम भरत तिवारी ने बताया, निर्वाचन आयोग की तरफ से 22 जनवरी तक चुनावी रैली, सभा आदि कार्यक्रम प्रतिबंधित किए गए हैं। इसके अलावा बच्चों से चुनावी कार्य कराने वाले मामले की निगरानी को तहसील स्तरीय टीमों को सक्रिय किया गया है। यदि बच्चों से चुनावी पोस्टर लगवाना या पंपलेट वितरण एवं बैनर टंगवाने का मामला सामने आता है तो संबंधित के विरुद्ध बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।