भरोसा टूटा तो मंडी सचिव कार्यालय गेट के पास धरने पर बैठे किसान
गल्ला मंडी में सरकारी धान खरीद शुरू होने की मांग कर रहे हैं किसान। धान का भाव कमजोर केंद्रों पर सरकारी गल्ला खरीद शुरू नहीं हुईं।
सीतापुर : भरोसा टूटने पर मंगलवार को मंडी में धान लेकर आए किसान उग्र हो गए। वह सभी सचिव कार्यालय गेट के पास धरने पर बैठ गए। कुछ देर तक शोर-शराबा होता रहा। किसान नेता अल्पना सिंह ने कहा कि मंडी में कहीं पर भी कोई कांटा नहीं लगाया गया है। औने-पौने दाम पर किसानों की उपज खरीदी जा रही है। उन्होंने धरना दे रहे किसानों के बीच से ही एसडीएम सदर को फोन कर समस्या बताई। कहा, कुछ दिन मंडी में धान लेकर आए किसानों को झूठा भरोसा क्यों दिया गया था कि सोमवार से क्रय केंद्रों पर धान खरीदा जाएगा।
फोन पर एसडीएम सदर ने बताया कि आनलाइन व्यवस्था है। कुछ बदलाव भी हुआ है। सब कुछ आनलाइन हो गया है। मैनुअल कुछ भी नहीं है। उपज बेचने वाले किसान का विवरण जब तक पोर्टल पर दर्ज नहीं होगा, उसको भुगतान नहीं हो पाएगा। एसडीएम ने फोन पर समझाया कि पूर्व में हम लोगों ने किसानों को 12 अक्टूबर से सरकारी खरीद शुरू कराने का भरोसा दिया था और शासन में समस्या अवगत कराते हुए लिखापढ़ी की थी लेकिन, शासन से अनुमति नहीं मिली। इसलिए अब एक नवंबर से भी जिले में क्रय केंद्र सक्रिय हो पाएंगे। उधर, किसान नेता अल्पना सिंह ने बताया, मंडी में यदि क्रय केंद्र सक्रिय नहीं हुए और कांटे नहीं लगाए जाते हैं तो वह बुधवार से धरना-प्रदर्शन करेंगी। मंगलवार को मंडी में 975 से 1300 रुपये तक के भाव में धान बिका है।
डिप्टी आरएमओ बोले, नहीं मिली अनुमति :
डिप्टी आरएमओ अरविद दुबे ने बताया, किसानों की मांग पर डीएम की तरफ से प्रमुख सचिव खाद्य को प्रस्ताव भेजकर 12 अक्टूबर से क्रय केंद्रों पर धान खरीदने की अनुमति मांगी गई थी। अनुमति नहीं मिल पाई है, इसलिए अब एक नवंबर से ही जिले में धान की सरकारी खरीद कराना उनकी भी मजबूरी है।
मंडी में उपज बेभाव
बनेहटा फार्म के उत्तम सिंह ने बताया कि गल्ला मंडी में मंगलवार को 80 क्विंटल धान बेचने लाए थे। 1261 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में बिका है। बिल्कुल सूखा धान था, पर क्या करें रेट अच्छा नहीं मिला। घर पर जगह नहीं, इसलिए बेच लिया।
रामनगर ढिहरा-महोली ओम प्रकाश ने बताया कि मंडी में 40 क्विंटल धान लाए थे। क्वालिटी बढि़या थी लेकिन, भाव कमजोर होने से 1100 रुपये प्रति क्विंटल के भाव में हमारा धान बिका है। धान बेचने की जल्दी का कारण है हमें दो एकड़ सरसों बोनी है। खाद, बीज की जरूरत है।