एक तरफ उत्साह तो दूसरी तरफ खौफ
चुनाव लड़ने को लेकर उत्साह लेकिन ड्यूटी करने से काट रहे कन्नी
सीतापुर : पंचायत चुनाव की गर्मी अब नजर आने लगी है। चुनावी मैदान में झांकें तो कहीं उत्साह है तो कहीं खौफ। जी हां, चुनावी में दावेदारी करने के लिए लोग अपना सबकुछ झोंके हुए हैं। दूसरी तरफ चुनाव प्रक्रिया में लगने वाले कार्मिकों में कोरोना के चलते ड्यूटी को लेकर खौफ हैं। वे किसी भी तरह से चुनावी ड्यूटी से मुक्त होने के लिए जुगाड़बाजी में लगे हुए हैं। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे फोन घनघनाने और सिफारिशों का दौर भी और तेज होता जा रहा है।
अप्रैल का दूसरा शनिवार। दिन के करीब 12 बजे। छुट्टी के नाते अधिकांश दफ्तरों में सन्नाटा था लेकिन, विकास भवन के बाहर नजारा कुछ और ही था। यहां पर सन्नाटा नहीं, काफी हलचल थी। दूरदराज से कार्मिक अपनी चुनाव ड्यूटी कटवाने के लिए इरादे से आए थे। कोई विकास भवन की सीढि़यों पर बच्चे को लेकर बैठा था तो कोई मौका पाकर कुर्सी पर ही जम गया। बस, इंतजार हो रहा था कि अधिकारी आएं और वे अपना दर्द बता सकें, जिससे उन्हें चुनाव ड्यूटी से राहत मिल जाए।
किसी का बच्चा छोटा तो किसी पर बुजुर्ग की जिम्मेदारी
एक चरण में होने वाले चुनाव को लेकर कार्मिकों को पूरा कर पाना बड़ी चुनौती है। कोरोना काल में मुश्किलें और भी हैं। ऐसे में चुनाव ड्यूटी से मुक्ति पाने की चाहत रखने वालों के आवेदनों में झांके तो कोई अपने छोटे बच्चे की दुहाई दे रहा है। कहना है कि बच्चा छोटा है। चुनाव ड्यूटी के साथ उसकी देखभाल आसान नहीं। इसके अलावा कुछ का तर्क यह भी है कि वे अपने परिवार के बुजुर्गों की देखभाल करने वाले इकलौते हैं। ऐसे में उन्हें भी ड्यूटी से मुक्ति चाहिए। कुछ का तर्क यह भी है कि पति-पत्नी दोनों की ड्यूटी लगी है। ऐसे में बच्चे की देखभाल के लिए मां को ड्यूटी से मुक्ति दे दी जाए।