वोटिग से मुंह फेरा तो समस्याओं ने घेरा
हम नाइ जानित कब वोट डारी जाइ पर्ची घर आई तऊ वोट डारई जाइब। अबहै कुछ दिन पहिले तऊ गए रहन।
जितेंद्र अवस्थी, सीतापुर : हम नाइ जानित कब वोट डारी जाइ, पर्ची घर आई तऊ वोट डारई जाइब। अबहै कुछ दिन पहिले तऊ गए रहन। सांसद का होति हईं। हमका तऊ नाई मालूम। हमरि समस्या तऊ कोई देखई नाइ आवा। वोट डारि का करी। सुबह 10 बजे के समय शहर के मुहल्ला मिरदही टोला में रहने वाली महिलाओं के यह बोल सुने तो जागरूकता अभियान की हकीकत सामने आ गई। समस्याओं के बारे में पूछा तो गलियों में भरे गंदे पानी की ओर हाथ उठा दिया। कहा खुद निकलकर दिखाओ तो पता चले। हम तो दस साल से इसी हाल में रह रहे हैं।
मतदाताओं की बूथ तक लाने की मुहिम का हाल जानने के लिए लोकसभा चुनाव 2014 व विधानसभा 2017 में सबसे कम मतदान वाले बूथों के मतदाताओं का मिजाज जानने के लिए शनिवार सुबह 10 बजे शहर के चौबेटोला स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय पहुंचे। तो पता चला कि चौबेटोला विद्यालय में मिरदही टोला के लोगों की वोट पड़ती है। चौबेटोला स्थित मतदेय स्थलों पर बीते लोकसभा चुनाव में सबसे कम मतदान हुआ था। गलियों में घूमकर जब श्यामनाथ मंदिर के समीप मिरदही टोला मोहल्ले में जाने पर लोगों की बेरुखी का सबब भी पता चल गया। दस साल से यहां के न तो हालात बदले और न ही हाल। गंदे पानी से गुजरना, बल्लियों पर बिजली व्यवस्था, गंदे पेयजल ने लोगों में सिर्फ बेचारगी का भाव भर दिया। मिरदही टोला लगभग पांच सौ वोटर दस सालों से जलभराव की समस्या से परेशान हैं। मोहल्ले की तीन गलियों में पूरे साल पानी भरा रहता है। मुस्लिम आबादी वाले इस इलाके में लोग गंदे पानी से ही गुजरकर आते जाते हैं। बिजली आपूर्ति अब भी बल्लियों पर ही होती है। मोहल्ले में लगे अधिकांश हैंडपंप खराब हैं। कुछ तो गंदे पानी में लगे हैं। किसी ने नहीं बताया कब होगा मतदान
गंदे पानी के बीच रह रही फूलजहां से मतदान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने खुद ही सवाल कर दिया। बोली वोट कब पडेंगे अभी तक कोई बताने ही नहीं आया और मतदान करके मिलेगा भी क्या। दस साल से गलियों का गंदा पानी तो दूर नहीं हुआ। शाहीन बेगम को भी मतदान के बारे में कुछ पता नहीं है। बोलीं कि अगर कोई पर्ची देने आया तो वोट डालने चले जाएंगे। हम गरीब हैं लेकिन सुविधाएं तो मिलें शाहीन को मतदेय स्थल की जानकारी तो थी, लेकिन वोट पडेंगे कब यह नहीं पता। शाहीन कहती हैं कि वोट डालने तो जाएंगे, लेकिन हम लोगों की तो सुनवाई होती ही नहीं। चुनाव के समय जो लोग हाथ जोड़ते हैं बाद में उनके हाथ जोड़ने पर भी काम नहीं होता। कैसरजहां व नीलम को भी मतदान की तारीख नहीं पता थी। वोट डालने जाने की हामी तो भरी लेकिन समस्या का समाधान न होने का मलाल चेहरे पर साफ दिखा। हमें इसी गंदे पानी से गुजरना होगा
पूछते क्यों हो, हम लोगों का दर्द जानना है तो इस गली से निकल कर देखो। अपने आप पता चल जाएगा। रोजे शुरू होने वाले हैं हमें इसी गंदे पानी से गुजरना होगा। शब्बो की इस शिकायत पर महरून्निशा, मोइद, अल्ताफ सभी ने अपनी हां मिलाई। 2014 में कम मतदान वाले बूथ
बीते लोकसभा चुनाव में सबसे कम मतदान वाले दस बूथों में चौबेटोला के तीन बूथ शामिल थे। विधान सभा चुनाव में भी चौबेटोला में कम मतदान हुआ था। 2014 में कन्या प्राइमरी पाठशाला चौबेटोला कक्ष संख्या तीन में मतदान महज 25.30 फीसदी ही हुआ था। प्राथमिक विद्यालय चौबेटोला दक्षिण व प्राथमिक विद्यालय चौबेटोला उत्तरी में 29 व 31 प्रतिशत मतदान ही हुआ।