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प्रकृति से जुड़ाव का पर्व है निर्जला एकादशी

हिदू सनातन परिवार में एकादशी का विशेष महत्व है। एक वर्ष में 24 एकादशी तिथि होती। आज महिलाएं पूज-अर्चन करेंगी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 10:16 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 06:11 AM (IST)
प्रकृति से जुड़ाव का पर्व है निर्जला एकादशी
प्रकृति से जुड़ाव का पर्व है निर्जला एकादशी

सीतापुर: हिदू सनातन परिवार में एकादशी का विशेष महत्व है। एक वर्ष में 24 एकादशी तिथि होती हैं। इस दिन अधिकांश हिदूजन व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इन एकादशियों में से एक निर्जला एकादशी 2 जून मंगलवार को है। इसे विशेष रूप से परंपरागत ढंग से मनाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु के आगमन के रूप में मनाया जाता है। इसदिन मान्यता अनुसार बिना जल पिए ही व्रत रहते हुए भगवान विष्णु की उपासना करनी होती है। ग्रीष्मऋतु में पर्व होने के कारण इसदिन ऐसे वस्तुओं के दानपुण्य का महत्व है जो प्राकृतिक रूप से शीतलता प्रदान करने वाले हों। इसलिए सोमवार को इससे जुड़ी सामग्रियों की खरीदारी की गई।

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घड़ा, पंखा व फलों का किया जाता है दान

कमलापुर संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प. बृजेंद्र शास्त्री इसदिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद मिट्टी से बने घड़े, सुराही, जूट या खस का बना हाथ पंखा, अंगौछा, शीतलता प्रदान करने वाले मौसमी फलों के दान का महत्व है। इसदिन भीमसेन ने शक्ति अíजत करने के लिए बिना पानी पिए व्रत रख भगवान विष्णु की पूजा की थी। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।


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