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घाघरा के आगे बेबस होकर छोड़ दिया दुर्गापुरवा

गृहस्थी लेकर परिवार के साथ नरायनपुर में डेरा डालने को निकल गए दोनों भाई। शरण देने वाले शंकर का भी कट रहा घर कटान से बचाने में असफल हैं पीड़ित।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 11:02 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 11:02 PM (IST)
घाघरा के आगे बेबस होकर छोड़ दिया दुर्गापुरवा
घाघरा के आगे बेबस होकर छोड़ दिया दुर्गापुरवा

सीतापुर : दुर्गापुरवा गांव से गुरुप्रसाद व उनके छोटे भाई रामनरेश परिवार और गृहस्थी के साथ नरायनपुर की ओर ट्रैक्टर-ट्राली से सुरक्षित स्थान की ओर कूच कर रहे थे। गुरुवार शाम के 5.40 बज रहे थे। दुर्गापुरवा से ढाई किलोमीटर दूर भगत सिकरोहड़ पहुंचने पर रास्ते में ट्रैक्टर रुकवाने पर गुरुप्रसाद ने बताया कि नरायनपुर जा रहे हैं। वहीं, सड़क किनारे झोपड़ी डालकर बस जाएंगे। महीने भर पहले उनका घर काटकर घाघरा बहा ले गई थी। इसके बाद उन्होंने रामकुमार के घर गृहस्थी रखी थी। कुछ दिन बाद रामकुमार का भी घर कटकर नदी में बह गया। फिर गुरुप्रसाद ने अपनी गृहस्थी शंकर के घर रखी। अब बुधवार से शंकर का भी घर घाघरा ने काटना शुरू कर दिया है। इसलिए अब गुरुप्रसाद व उनके भाई रामकुमार शंकर के घर से अपनी गृहस्थी उठाकर नई जगह नरायनपुर गांव में बसने जा रहे हैं। गुरुप्रसाद ने बताया कि पिछले साल उनकी 15-20 बीघे खेती घाघरा काटकर बहा ले गई थी। अब उनके पास न घर बचा है और न ही जीवन-यापन का जरिया। गुरुप्रसाद के दो बेटे हैं। बहू व पोता-पोती भी हैं।

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कोई बचा ले शंकर का घर :

गुरुप्रसाद ने बताया, घाघरा में जल स्तर कम नहीं होता दिख रहा है। अब तो कटान की गति भी तेज हो गई है। शंकर का घर कट रहा है। कोई उपाय नहीं कि शंकर के घर को बचाया जा सके। इसलिए शंकर भी गृहस्थी समेट रहे हैं।

भाड़े तक के नहीं थे रुपये :

गुरुप्रसाद व उनके भाई रामकुमार ने बताया कि गृहस्थी नरायनपुर गांव तक ले जानी थी। इतने पैसे नहीं हैं कि भाड़े से ट्रैक्टर-ट्राली करें। भेड़उहा पुरवा गांव में उनके रिश्तेदार रामकुमार हैं। डीजल पर इनके ट्रैक्टर-ट्राली को लाकर उससे गृहस्थी लेकर जा रहे हैं। दुर्गापुरवा से नरायनपुर करीब छह किमी दूर है।

नरायनपुर को बनाया है ठिकाना :

दुर्गापुरवा में कटान से प्रभावित परिवारों में 50-60 परिवार नरायनपुर गांव के आसपास और संपर्क मार्ग पर बस गए हैं। इनके पास खाद्य सामग्री का भी अभाव है। दुर्गापुरवा में अब जिनके घर कटान से बचे हैं, उनमें मुलायम, राजिराम, भाईलाल, मस्त राम, बलिराम, भूखन, पुतान, बाबादीन, झब्बूलाल, संदीप व मूर्ति हैं।


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