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बाढ़ के पानी में बह जाते हैं विकास कार्य

5164 शौचालयों का निर्माण का लक्ष्य मिला

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 12:21 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 12:21 AM (IST)
बाढ़ के पानी में बह जाते हैं विकास कार्य
बाढ़ के पानी में बह जाते हैं विकास कार्य

सीतापुर : रेउसा ब्लॉक इलाके के विकास की बात करना ही बेमानी है। कई ग्राम सभाओं के विकास कार्य शारदा और घाघरा नदी के पानी में बह जाते हैं। नदियों की बाढ़ में आमजन का घर-बार तो बह ही जाता है, पंचायतों के कागजी काम भी उसी में समा जाते हैं। घर बनाना और खुद मिटाना बाढ़ प्रभावितों की जिदगी का हिस्सा सा बन गया है। हालांकि, बाढ़ प्रभावितों के हालात पहले से कुछ बेहतर हुए हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। हर साल आने वाली बाढ़ में किसी न किसी गांव का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। कई परिवार सड़क पर आ जाते हैं। कई किसानों का खेत नदी की धार में बह जाता है। फिलहाल प्रशासन ने स्टड बनवाकर नदी की धार का कम करने का प्रयास तो किया है, लेकिन समस्या का स्थाई हल अब तक नहीं निकला।

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20 ग्राम सभाएं हैं बाढ़ प्रभावित

रेउसा ब्लॉक की कुल 98 ग्राम सभाओं में से करीब 20 ग्राम सभाएं बाढ़ प्रभावित इलाके में आती हैं। इन ग्राम सभाओं के 200 से अधिक मजरे बाढ़ की चपेट में आते हैं। काशीपुर, मल्लापुर, जटपुरवा, म्योढी छोलहा, चौसा, किशोरगंज, लौकी नेवादा, ताहपुर पकौरी, गौलोक कोडर, चहलारी, बैजवारी, खानी हुसैनपुर, राजापुर, लालपुर, मुझेहना, रंडा कोडर आदि गांवों में नदी का पानी भर जाता है।

कट जाते हैं रास्ते, मिट जाता गांव का अस्तित्व

प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ में इन ग्राम सभाओं के संपर्क मार्ग कट जाते हैं। कुछ गांवों के रास्ते तो बिल्कुल ही खत्म हो जाते हैं। बरसात के समय के इन गांवों के लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है। बाढ़ का असर शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ता है। स्कूल बंद रहते हैं और दवाई के लिए भी लोगों को भटकना पड़ता हैं। वहीं नदी की बाढ़ में हर साल किसी गांव का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।


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