सीएचसी एफआरयू, पर चिकित्सा सुविधाओं में अव्यवस्था का रोड़ा
सिधौली में नेशनल हाईवे की सीएचसी पर अस्थि रोग विशेषज्ञ तक नहीं अल्ट्रासाउंड मशीन भी नहीं बाल रोग विशेषज्ञ जनवरी से अवकाश पर
सीतापुर: सीएचसी नेशनल हाईवे पर होने से काफी महत्वपूर्ण है। इसे एफआरयू (प्रथम संदर्भन इकाई) का दर्जा प्राप्त है। ब्लड स्टोरेज यूनिट है, पैथोलाजिस्ट दो महीने से मातृत्व अवकाश पर हैं। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सुविधा है, पर मशीन नहीं होने से आउट सोर्सिग से रोगियों का अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। रेडियोलाजिस्ट, फिजीशियन, नेत्र रोग विशेषज्ञ नहीं है। बाल रोग रोग विशेषज्ञ हैं, पर वे पांच महीने से छुट्टी पर हैं। अधीक्षक डा. राकेश वर्मा बेहोशी के विशेषज्ञ हैं।
शुक्रवार सुबह के नौ बजे थे। बूंदाबांदी हो रही थी। दो महिला रोगी अस्पताल में दाखिल हुईं। एक महिला ने अपना नाम पूनम, दूसरी ने माही बताया। ये दोनों सीधे कोविड हेल्प डेस्क पर पहुंची। डेस्क पर बैठी स्वास्थ्य कर्मी नीलम से पर्चा बनाने देने को बोलीं। नीलम ने उनसे कहा, ओपीडी बंद है। पर्चे नहीं बनते हैं। नीलम ने थर्मल स्क्रीनिग से पूनम व माही टेंप्रेचर चेक किया। सामने बेंच पर बैठा दिया। अलबदा की पूनम ने बताया, उसे दो-तीन दिन से बुखार आ रहा है। माही ने कहा, उसे घुटनों में दर्द है। इमरजेंसी में डा. देवेंद्र वर्मा एक महिला का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे थे।
वहीं, औषधि भंडार कक्ष में स्टोर इंचार्ज अनूप श्रीवास्तव कोविड किट तैयार करने में लगे थे। बताया, कोविड की दवाओं का गांवों में रोगियों को बांटा जाना है। चीफ फार्मासिस्ट जुबेर मलिक ने बताया, दवाएं हैं। स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी सुनीता त्रिपाठी रजिस्टर में प्रसव संबंधी सूचनाएं अंकित कर रही थीं। बताया, शुक्रवार को एक प्रसव कराया गया है।
कोविड अस्पताल बनाने का प्रस्ताव:
सीएचसी अधीक्षक डा. राकेश वर्मा ने बताया, उनकी सीएचसी को कोविड एल-वन अस्पताल बनाने का प्रस्ताव है। इसलिए व्यवस्थाएं दुरुस्त हो रही हैं। सीएचसी के 50 बेड में से 10 बेड कोविड मरीजों के लिए आरक्षित हुए हैं। दो ऑक्सीजन कंसट्रेटर हैं। कैंपस में 20 आवास हैं। इसमें डॉक्टर व कर्मी रहते हैं।
इमरजेंसी में रोगियों को मिला लाभ:
ओपीडी बंद होने के बाद सीएचसी की इमरजेंसी में अप्रैल में 1034 व एक से 25 मई तक 532 मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण हुआ है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अमिता त्रिपाठी ने बताया, अप्रैल में 186 गर्भवती और मई में 142 महिलाओं के प्रसव कराए गए हैं।
चाइल्ड स्पेशलिस्ट चार महीने से अवकाश:
बाल रोग विशेषज्ञ डा. सतीश सिंह चौहान की तैनाती है, पर वह जनवरी से अवकाश पर हैं। जनरल सर्जन डा. धीरेंद्र सिंह, लेडी मेडिकल आफीसर डा. हर्षा खंडूजा व आयुष चिकित्सक डा. गजाला रहमान हैं। अस्पताल में अस्थि रोग विशेषज्ञ, फिजिशियन, नेत्र रोग विशेषज्ञ, त्वचा रोग विशेषज्ञ, मानसिक रोग विशेषज्ञ व रेडियोलॉजिस्ट के पद रिक्त हैं।
पीएचसी में इमरजेंसी सेवाएं भी नहीं:
अटरिया पीएचसी में आवास नहीं हैं। शौचालय भी टूट गए हैं। अस्पताल में एक अदद हैंडपंप के लिए प्रभारी ने कई चिट्ठियां लिखी हैं। जन प्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई, पर हैंडपंप नहीं लग पाया। बिजली के इंतजाम भी कोई खास नहीं हैं। बिजली गुल होने पर पीएचसी में अंधेरा हो जाता है। चूंकि यहां बिजली की वैकल्पिक सुविधा जैसे जनरेटर तक नहीं है। प्रभारी डा. राहुल सिंह ने बताया, कोविड के चलते पीएचसी में रोगियों को इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं।
वर्जन--
अस्पताल में विशेषज्ञों की कमी है। इसके लिए सीएमओ को कई पत्र लिखे हैं। दवाएं हैं। कोविड के कारण ओपीडी की सेवाएं जरूर बाधित रही हैं, पर इमरजेंसी रोगियों के स्वास्थ्य परीक्षण में कोई भी कोताही नहीं बरती गई है। अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं है, इसलिए रोगियों को थोड़ी दिक्कत का जरूर सामना करना पड़ता है। वैसे हमने आउट सोर्सिग से अल्ट्रासाउंड की सुविधा दे रखी है। महीने भर में औसतन 50-60 रोगियों को आउट सोर्सिग अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिलती है।
-डा. राकेश वर्मा, अधीक्षक, सीएचसी