'हे ईश्वर ऐसा वर दो कि हर वर्ष करूं नैमिष की परिक्रमा'
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नैमिषारण्य (सीतापुर) : राम-नाम के जयकारों के बीच आठ पड़ाव पार कर मंगलवार सुबह परिक्रमार्थी नवें पड़ाव नैमिषारण्य आ गए हैं। जरिगवां से 16 किमी का सफर तय कर परिक्रमार्थियों ने ब्रम्हावली, करूवामऊ, औरंगाबाद, रहिमाबाद, चौपरिया, गयावर गांव गुजर कर नैमिषारण्य में प्रवेश किया। इस बीच रास्ते में उनका कई जगह ग्रामीणों ने फूल मालाओं से स्वागत भी किया। फिर आदि गंगा गोमती किनारे अयोध्या मंदिर में परिक्रमार्थियों ने दर्शन किए। इसके बाद व्यास गद्दी आदि स्थलों पर पहुंचकर देवी-देवताओं के दर्शन किए।
धीरे-धीरे दोपहर तक परिक्रमार्थी नैमिष के विभिन्न आश्रमों में पहुंचे और वहां प्रसाद ग्रहण कर डेरा डाल दिया है। चक्रतीर्थ पर मौजूद मध्य प्रदेश के भिड से आए परिक्रमार्थी राजेश्वर और कृष्णा देवी बोलीं, परिक्रमा कर जीवन सफल हो गया है..ईश्वर की महिमा अपरंपार है। वह परिक्रमार्थी चाहते हैं कि शेष जीवन में भी वे हर साल नैमिषारण्य क्षेत्र की परिक्रमा कर सकें, ऐसा वर ईश्वर से मांगा है। नेपाल की यशोदा, राजकुमारी, मंजू कहती हैं कि परिक्रमा के दौरान उन्हें कई बार आभास हुआ कि ईश्वर का आशीर्वाद उनके साथ है। इसीलिए कहीं पर भी रास्ते में उन्हें थकान महसूस तक नहीं हुई है। शरीर में ऊर्जा का संचार और अधिक बढ़ गया है।
पहला आश्रम में दिखी अधिक भीड़
नैमिष के पहला आश्रम में परिक्रमार्थियों की सबसे अधिक भीड़ देखने को मिली। परिक्रमा में शामिल महिला श्रद्धालुओं में भी खासा उत्साह देखने को मिला। यहीं पर अपने-अपने डेरों में परिक्रमार्थी भजन-कीर्तन कर रहे थे। कुछ साधना में व्यस्त थे। परिक्रमार्थियों ने किए दर्शन
नवें पड़ाव से अगले पड़ाव के रास्ते में परिक्रमार्थियों ने महाकालेश्वर, मनमथेश्वर, मधुकंद, गदाधरनाथ, फल्गु, पौराणिक अयोध्या धाम, मणि पर्वत आदि स्थलों पर देवी-देवताओं के दर्शन किए। फिर नैमिषारण्य में चक्रतीर्थ एवं गोमती में मार्जन-मथवानी कर मां ललिता देवी मंदिर, भूतनाथ बाबा, हनुमान गढ़ी, व्यासगद्दी, सूतगद्दी, हंस-हंसिनी, देवदेवेश्वर, रुद्रावर्त महादेव, सेतुबंध रामेश्वर आदि मंदिरों में पूजन-अर्चन किया। आश्रम में हुए भंडारे
84 कोसी परिक्रमा के अवसर पर तीर्थ के पहला आश्रम, नारदानंद आश्रम, हरैय्या आश्रम, दारोगा बाबा आश्रम, सितारी बाबा आश्रम, राज राजेश्वरी आश्रम, मलैया आश्रम, बड़ी छावनी एवं छोटी छावनी, हरिहरानंद आश्रम आदि स्थानों पर देर शाम तक निरंतर भंडारा चलता रहा।