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नवमी को नैमिष पहुंचते हैं परिक्रमार्थी

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By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Mar 2020 11:07 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 06:11 AM (IST)
नवमी को नैमिष पहुंचते हैं परिक्रमार्थी
नवमी को नैमिष पहुंचते हैं परिक्रमार्थी

सीतापुर : आठवें पड़ाव जरिगवां से नवें पड़ाव नैमिषारण्य के रास्ते में परिक्रमार्थियों को ब्रम्हावली, करूवामऊ, औरंगाबाद, रहिमाबाद, चौपरिया, गयावर गांव से गुजरना पड़ता है। परिक्रमार्थी गयावर गांव से नैमिषारण्य में दाखिल होकर आदि गंगा गोमती किनारे अयोध्या मंदिर पहुंचते हैं। अयोध्या मंदिर में राम-दरबार में दर्शन करते हैं। फिर नैमिष में पड़ाव डालते हैं। यहां विभिन्न आश्रम, मंदिर और धर्मशालाओं में परिक्रमार्थियों की भीड़ रहती है। ये परिक्रमा जरिगवां से मंगलवार को नैमिषारण्य पहुंच रही है। फिर दूसरे दिन तड़के लाखों की संख्या में परिक्रमार्थी दसवें पड़ाव कोल्हुवा बरेठी के लिए निकलते हैं।

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ये हैं दर्शनीय स्थल

फाल्गुन शुक्ल पक्ष नवमी को परिक्रमा जरिगवां पड़ाव से चलकर वापस नैमिषारण्य आ जाता है। यहां पर आकर चक्रतीर्थ, मां ललिता देवी, पंच प्रयाग, क्षेमकाया देवी, गोवर्धन नाथ, जानकी कुंड, पंचमुखी हनुमान जी, श्री शेषनाथ, सूत जी कथा स्थान, राधा-कृष्ण, बलदाऊ, अन्नपूर्णा जी, विश्वनाथ, लीलार कूप, तुलसीदास, धर्मराज, चित्रगुप्त, यमराज पाराशर, वेद व्यास जी, शुकदेव, स्वायंभू, मनु-सतरूपा तपस्थली, चैतन्य महाप्रभू, कश्यप ऋषि, काशी राज ब्रह्मवर्त, अयोध्या, गंगोत्री, सप्तऋषि टीला, दशाश्वमेघ घाट, राम-जानकी मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, वाराह कूप, प्राचीन गुफाओं एवं कंदराओं के दर्शन होते हैं। फिर परिक्रमार्थी उसी शाम चक्रतीर्थ की भव्य आरती में शामिल होकर वहीं रात्रि विश्राम करते हैं।


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