बजेगा डंका, कोरौना के लिए कूच करेगा रामादल
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सीतापुर : नैमिषारण्य में सोमवार से 84 कोसी परिक्रमा शुरू हो रही है। मान्यता है कि, ये परिक्रमा 84 लाख योनियों से मुक्ति देती है। नैमिष में प्रभु श्रीराम ने अयोध्यावासियों के साथ परिक्रमा की थी। इसलिए परिक्रमार्थियों के समूह को रामादल कहा जाता है। परिक्रमा का शुभारंभ पहला आश्रम के महंत भरत दास सुबह पांच बजे के करीब डंका बजाकर करेंगे। संत-महंतों की अगुवाई में परिक्रमार्थियों का जत्था पहले पड़ाव कोरौना के लिए कूच करेगा।
हाथों व सिर पर सामान की गठरी उठाए राम-राम, सीताराम का जयघोष करते हुए परिक्रमा पथ पर बढ़ेंगे। मेला प्रशासन इस बार श्रद्धालुओं के स्वागत की नई परंपरा की शुरूआत कर रहा है। ललिता मंदिर तिराहे पर परिक्रमार्थियों पर पुष्प वर्षा होगी। रास्ते में भी श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारियां हैं। नैमिष से कोरौना परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाले गांव के लोग भी परिक्रमार्थियों के स्वागत-सत्कार में पलक-पावड़े बिछाने की तैयारी की है।
दूर प्रांतों व नेपाल से आते हैं परिक्रमार्थी
चौरासी कोसी परिक्रमा का पौराणिक महत्व है। आस्था के महापर्व में डुबकी लगाने के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात आदि प्रांतों सहित पड़ोसी देश नेपाल से भी परिक्रमार्थी आए हैं। ये सभी परिक्रमार्थी पंद्रह दिनों तक नैमिषारण्य क्षेत्र की परिक्रमा कर होली से एक दिन पहले वापस लौटेंगे।
सीतापुर में सात व हरदोई में चार पड़ाव
चौरासी कोसी परिक्रमा के सात पड़ाव सीतापुर जिले के कोरौना, देवगवां, मड़रूआ, जरिगवां, नैमिषारण्य, कोल्हुआ बरेठी व मिश्रिख हैं। इसी तरह हरदोई जिले में हरैया, नगवा कोथावां, गिरधरपुर उमरारी व साक्षी गोपालपुर पड़ाव स्थल हैं।
मिश्रिख में होती है पंच कोसी परिक्रमा
परिक्रमा के दस पड़ाव पार कर परिक्रमार्थियों का कारवां महर्षि दधीचि की नगरी मिश्रिख पहुंचता है। यहां श्रद्धालु पांच दिन ठहरकर मिश्रिख के आसपास पंच कोसी परिक्रमा करते हैं। पंच कोसी परिक्रमा पथ पर पड़ने वाले मंदिरों में दर्शन पूजन के साथ ही दधीचि कुंड में स्नान व आचमन करते हैं।