भारत-नेपाल सीमा के ग्राम प्रधान बनाएंगे समन्वय
कोरोना संक्रमण के चलते नेपाल से लगने वाली जिले की 65 किमी लंबी सीमा सील है। भारत से केवल जरूरी सामान एवं खाद्य सामग्री ही वहां जा रही है। इसी बीच नेपाल से सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के सीमा पार गांव के ग्रामीणों में दूरियां बढ़ी हैं।
सिद्धार्थनगर : सीमा विवाद की तल्खी रोटी-बेटी के रिश्ते वाले भारत-नेपाल के बाशिंदों के रिश्तों में दरार न डाल पाए, इसकी जिम्मेदारी दोनों देशों के सीमावर्ती गांवों के प्रधान व अन्य जनप्रतिनिधि उठाएंगे। वे समन्वय की मिठास घोलकर ग्रामीणों को बताएंगे कि हमारे पुराने रिश्ते हमेशा मजबूत रहे हैं और आगे भी रहेंगे। वह समन्वय संदेश भी प्रसारित करेंगे। यह पहल सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से की है। माना जा रहा है कि इसके निर्देश ऊपर से मिले हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई कुछ नहीं कह रहा है।
कोरोना संक्रमण के चलते नेपाल से लगने वाली जिले की 65 किमी लंबी सीमा सील है। भारत से केवल जरूरी सामान एवं खाद्य सामग्री ही वहां जा रही है। इसी बीच नेपाल से सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के सीमा पार गांव के ग्रामीणों में दूरियां बढ़ी हैं। इसे देखते हुए बीती 10 जुलाई को बढ़नी में हुई सुरक्षा समन्वय समिति की बैठक में पहली बार जनप्रतिनिधि शामिल किए गए। इस बैठक में भारत की तरफ से बढ़नी के चेयरमैन निसार बागी और नेपाल की तरफ से सांसद अभिषेक प्रताप शाह व कृष्णानगर के मेयर रजत प्रताप शाह शामिल हुए। इस बैठक में सहमति बनी कि प्रत्येक माह सीमा पर होने वाली अधिकारियों की इस बैठक में अब ग्राम प्रधान, नगर निकाय के प्रमुख व सभासद भी शामिल किए जाएं। कई व्यवहारिक मुद्दों को स्थानीय स्तर पर ही दोनों देश के अधिकारी आपसी सहमति से सुलझाएंगे। अगस्त में होने वाली बैठक इसी प्रारूप में होगी।
भारत और नेपाल के इन गांवों के प्रधान होंगे शामिल
भारतीय क्षेत्र के ढेबरुआ थाने के मडनी, घरूआर, नगर पंचातय बढ़नी, शोहरतगढ़ थाने के कोटिया बाजार, खुनुवा बाजार, कपिलवस्तु के बजहा, अलीगढ़वा, मोहना थाना क्षेत्र के ककरहवा, लोटन के हरबंशपुर और नेपाल के नगर महापालिका कृष्णानगर, मरजादपुर, चाकरचौड़ा, आमा, गौरा, तुलसीडिहवा, पिपरा, गुलाडीह आदि गांवों के जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।
पुलिस अधीक्षक विजय ढुल ने कहा कि दोनों ओर बसे ग्रामीण सदैव एक-दूसरे के सुख-दुख के सहभागी बनते रहे हैं। पिछले दिनों नेपाल के अधिकारियों के साथ समन्वय बैठक हुई थी, जिसमें यह तय किया गया कि वर्तमान हालात को देखते हुए आगे की बैठक में जन प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाए।