वाहनों की सेहत खराब, बढ़ा रहे दुर्घटना का ग्राफ
बिना किसी फिटनेस प्रमाणपत्र के विभिन्न राज्यों से लाई गई गाड़ियां धड़ल्ले से फर्राटा भर रही हैं जो कोहरे भरी रातों में दुर्घटना का ग्राफ बढ़ा रही हैं। विभागीय अधिकारियों का दायित्व सिर्फ यातायात नियमों का अनुपालन कराने तक सीमित है। मार्ग पर दौड़ने वाली गाड़ियों के सेहत जांच की कोई व्यवस्था नहीं है।
सिद्धार्थनगर : यातायात नियमों की अनदेखी और सेहत खराब वाहन दुर्घटना के ग्राफ में इजाफा कर रहे हैं। संबंधित विभाग अनफिट वाहनों का संचालन रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। बिना किसी फिटनेस प्रमाणपत्र के विभिन्न राज्यों से लाई गई गाड़ियां धड़ल्ले से फर्राटा भर रही हैं, जो कोहरे भरी रातों में दुर्घटना का ग्राफ बढ़ा रही हैं।
विभागीय अधिकारियों का दायित्व सिर्फ यातायात नियमों का अनुपालन कराने तक सीमित है। मार्ग पर दौड़ने वाली गाड़ियों के सेहत जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। गैर प्रांत से आए वाहनों की संख्या जिले में अधिक है जो अपनी आयु पूरी कर चुकी हैं। लोकल पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बसें भी ऐसी ही हैं कि यात्रा सकुशल संपन्न होगी उसपर संशय बना रहता है। कोहरे भरे मौसम में यात्रा के दौरान फाग लाइट, बैक लाइट, डीपर, इंडीकेटर की अहम भूमिका होती है, लेकिन संचलित होने वाली अधिकतर गाड़ियों में इसका अभाव देखने को मिला। सकुशल यात्रा के लिए जरूरी व्यवस्था को वाहन चालक भी गैर जरूरी ही समझते हैं जिसका खामियाजा मार्ग दुर्घटना के वक्त उन्हें उठाना पड़ता है।
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प्रदूषण जांच की नहीं व्यवस्था
वाहनों के प्रदूषण जांच की सरकारी व्यवस्था स्थानीय स्तर पर न होने के चलते वाहन चालकों को बस्ती तक का चक्कर लगाना पड़ता है। प्राइवेट जांच होती है तो कीमत अधिक देनी पड़ती है। इस दौड़भाग से बचने के लिए अधिकतर वाहन स्वामी बिना किसी प्रपत्र के वाहन संचालित कर रहे हैं। प्रदूषण की जांच प्रत्येक छह माह में कराना जरूरी है, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण नियमों का अनुपालन नहीं होता।
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वाहनों का हुआ फिटनेस जांच
वर्ष संख्या
एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 2379
एक अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 3288
एक अप्रैल 2020 से 25 नवंबर तक 752
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व्यवसायिक वाहनों की नियमित फिटनेस कराई जाती है। इसके लिए विभाग अभियान भी संचालित करता है। बगैर फिटनेस प्रमाणपत्र के चलने वाले वाहनों पर अर्थदंड की कार्रवाई की जाती है। कोरोना संक्रमण काल में कार्य बाधित हुआ है।
आशुतोष कुमार शुक्ल
एआरटीओ प्रशासन