दो जनपदों में फंसा भड़रिया का टोला
गजनीजोत उर्फ रसूलाबाद के नागरिकों को परेशानी
सिद्धार्थनगर : आज तकनीकी के सहारे मुश्किल से मुश्किल काम को आसान बनाने की कवायद जोर शोर से चल रही है। राजस्व महकमा भी अब भूमि के सीमांकन आदि के लिए गूगल मैपिग जैसे संसाधनों की मदद ले रहा है, लेकिन अभी भी ऐसे मामलों की कमी नहीं है जिन्हें दुरुस्त करना बाकी है। जनपद में ऐसा ही गांव भड़रिया है, जिसका एक टोला आज भी बलरामपुर जनपद में आता है। इस गांव के अभिलेख सुधारने की जहमत जिम्मेदाऱों ने नहीं उठाई।
29 दिसंबर सन 1988 को जनपद बस्ती के उत्तरी भाग को पृथक कर सिद्धार्थनगर जिले का निर्माण हुआ था, जिले का पश्चिमी भाग श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, बस्ती आदि जिलों को जोड़ता है। सिद्धार्थनगर जिले के पश्चिमी छोर का भड़रिया जो बलरामपुर जिले के बार्डर पर स्थित है। इसी गांव का पुरवा है गजनीजोत उर्फ रसूलाबाद। लेकिन गजनीजोत सिद्धार्थनगर में है और रसूलाबाद बलरामपुर जिले में। ऐसा क्यों और कैसे है कोई नहीं जानता। 56 वर्षीय शिवकरण व 70 वर्षीय जयकरण का कहना है कि हमें भी सही नहीं मालूम है। बुजुर्गों से सुनते थे कि रसूलाबाद पहले गोंडा जिले में था, बाद में इसे बलरामपुर जिला घोषित किया गया। दोनों जिलों के बीच कई दशक पहले एक सुआव नाला बना। जिससे बलरामपुर जिले का गांव रसूलाबाद विभाजित हो जाने से गजनीजोत सिद्धार्थनगर जिले में आ गया। 58 वर्षीय गणेश व 66 वर्षीय सोचन का कहना है कि कई सालों तक गजनीजोत पुरवा के लोगों को राजस्व संबंधित अभिलेख बलरामपुर जिले से लाना पड़ता था फिर बाद में सिद्धार्थनगर जिले से संबंधित हो गया। लेकिन अभी तक आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड व राजस्व अभिलेखों में इस पुरवा का नाम गजनीजोत उर्फ रसूलाबाद है। आज भी इस गांव के लोगों की मुकम्मल पहचान किसी एक जिले से नहीं जुड़ी है जिसका खामियाजा भी यहां के लोगों को भुगतना पड़ता है। केसीसी तथा अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। गांव के लोगों ने समस्या से उच्चाधिकारियों को अवगत भी कराया पर निराकरण की दरकार आज तक बनी हुई है। एसडीएम त्रिभुवन ने कहा उन्हें समस्या के बारे में जानकारी मिली है। जल्द ही अभिलेख ठीक कराने के प्रयास किए जाएंगे।