आध्यात्मिक महत्व रखता है पिढि़या का सरोवर
विकास खंड के पिढि़या गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर के समीप स्थित सरोवर आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसके जल से ही शिव मंदिर में जलाभिषेक होता है। तभी तो इस सरोवर की देखरेख पूरे गांव के लोग करते हैं। इसमें पानी भरते रहने के साथ वह हर वर्ष इसकी सफाई भी करते हैं।
खेसरहा, बांसी : विकास खंड के पिढि़या गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर के समीप स्थित सरोवर आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसके जल से ही शिव मंदिर में जलाभिषेक होता है। तभी तो इस सरोवर की देखरेख पूरे गांव के लोग करते हैं। इसमें पानी भरते रहने के साथ वह हर वर्ष इसकी सफाई भी करते हैं।
अधिकांश तालाब पोखरे सूख जाते हैं, जिससे पशु पक्षियों को पानी की खोज में दर दर भटकना पड़ता है। ऐसे में डेढ सौ वर्ष पुराना पिढीया का यह सरोवर किसी वरदान से कम नहीं है। रकबा छह बीघा है। पूरे साल भर पानी से भरा रहता है। इसमें क्षेत्र के सवाडांड, पिढि़या, बत्सा, पिपरा, नासिरगंज तथा अवसान गाढ़ा गांव के सैकड़ों पशुओं सहित अनगिनत जीव-जंतु पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। पोखरे से सटा वर्षों पुराना विशालकाय बरगद का पेड़ भी है । इससे सुरम्य वातावरण लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। पोखरे तथा मंदिर की देखरेख में गांव के युवा बढ़चढ़ कर अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। जब पानी कम होता है तब ग्रामीणों के सहयोग से इसे भर दिया जाता है तथा समय-समय पर गांव के लोग इसकी साफ सफाई भी करते रहते हैं। जिससे इसका पानी एक दम साफ रहता है। बारिश से पूर्व ग्रामीण इसके भीटे को श्रमदान कर दुरुस्त करते हैं ताकि बरसात की हर बूंद पोखरे में संचित रह सके। अस्सी वर्षीय राम मिलन, 65 वर्षीय किशोरे, 70 वर्षीय धुरप नारायण कहते हैं कि हम लोग आज इस पोखरे को आधा होते कभी नहीं देखे। सफाई व देखरेख के कारण इसका पानी पूरी तरह हरा रहता है। इस लिए इसमें स्नान करने से कोई परहेज हम लोगों को नही होता।