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राम मंदिर निर्माण से वर्षों का सपना हुआ साकार

कलाकारों ने दिखाया कि भविष्यवाणी के बारे में कंस को पता चलता है तो वह अपनी बहन देवकी को मारना चाहता है। वासुदेव से समझौता होने के बाद बहन व बहनोई को कारागार में डाल देता है। जहां पर देवकी के छह पुत्रों को कंस ने मौत के घाट उतार दिया। आठवें पुत्र के रूप में कृष्ण का जन्म हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 10:49 PM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 10:49 PM (IST)
राम मंदिर निर्माण से वर्षों का सपना हुआ साकार
राम मंदिर निर्माण से वर्षों का सपना हुआ साकार

सिद्धार्थनगर : बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डा. सतीश द्विवेदी ने कहा कि बरसों का सपना था कि अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण हो, हम सभी का सौभाग्य है कि जब मंदिर बनना शुरू हो गया है। इसमें हम लोग शामिल हो रहे हैं। जन सहभागिता के लिए लोग स्वयं आगे आ रहे हैं, कि मंदिर निर्माण में उनका भी सहयोग सम्मिलित हो सके।

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खुनियांव ब्लाक सभागार में निधि समर्पण राशि अभियान के तहत हुए कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि मंदिर निर्माण में हर कोई भाग ले सकता है। इसके लिए कोई राशि निर्धारित नहीं है, जिस तरह से आप साम‌र्थ्य हों, उसके अनुसार इसमें सहयोग कर सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक सुरजीत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए यह अभियान चल रहा है, जिसमें लोग अपनी स्वेच्छा से शामिल हो रहे हैं। मंत्री डा. सतीश के नेतृत्व में चलाए गए इस कार्यक्रम में ब्लाक प्रमुख व भाजयुमो जिलाध्यक्ष मनोज मौर्य ने 51 हजार रुपये की धनराशि सहयोग के रूप में समर्पित की। किशन जायसवाल, पिकू उपाध्याय, राजन पाण्डेय आदि ने अपनी ओर से निधि समर्पण राशि में सहयोग किया। विभाग प्रचारक को कुल एक लाख, 24 हजार, 550 रुपये की धनराशि समर्पित की गई। बीडीओ सतीश पाण्डेय, राम मूरत, मनोज, पप्पू सिंह, विनय त्रिपाठी, तेज प्रताप जायसवाल, धर्मेन्द्र मौर्या, राम सूरत चौरसिया आदि मौजूद रहे।

मनोहारी प्रस्तुति से वृंदावन के कलाकारों ने लूटी वाहवाही

महादेव गजपुर में चल रहे शतचण्डी महायज्ञ में शनिवार की रात्रि वृंदावन के कलाकारों ने रासलीला का मंचन किया। मनोहरी प्रस्तुति ऐसी कि हर कोई वाह-वाह कर उठा। सुंदर झांकी देख श्रोता मंत्रमुग्ध हुए तो श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के सजीव मंचन के बीच पंडाल जयकारे से गूंज उठा।

कलाकारों ने दिखाया कि भविष्यवाणी के बारे में कंस को पता चलता है तो वह अपनी बहन देवकी को मारना चाहता है। वासुदेव से समझौता होने के बाद बहन व बहनोई को कारागार में डाल देता है। जहां पर देवकी के छह पुत्रों को कंस ने मौत के घाट उतार दिया। आठवें पुत्र के रूप में कृष्ण का जन्म हुआ। कारागार के द्वार खुल गए। वासुदेव रातों रात कृष्ण को गोकुल में नंद यशोदा के घर रखकर उनकी नवजात कन्या को साथ ले आते हैं। कंस ने जब कन्या को मारना चाहा तो वह अदृश्य हो गई और आकाशवाणी हुई कि कंस को मारने वाला गोकुल में जन्म ले चुका है। कंस यह सुनकर डर गया। उस दिन गोकुल में जन्म लेने वाले हर शिशु की हत्या की योजना बनाता है। इसके लिए उसने पूतना नामक राक्षसी का सहारा लेता है। वह सुंदर रूप बनाकर महिलाओं में आसानी से घुल मिल जाती है। स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराती है, अनेक शिशु उसके शिकार हुए। कृष्ण उसकी सच्चाई समझ गए और उन्होंने उसका वध कर दिया। इन्द्रजीत उपाध्याय, जगराम यादव, कौशल, सूरजलाल, रामनिवास, अशर्फी लाल, कृष्णा, जग्गीलाल, सुनील आदि उपस्थित रहे।


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