देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं ने की स्कंदमाता की पूजा
शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन पांच के स्कंद स्वरूप की अराधना की गई। देवी मंदिरों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। जहां पर दोपहर तक देवी की स्तुति के लिए अनुष्ठान चलता रहा।
सिद्धार्थनगर: शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन पांच के स्कंद स्वरूप की अराधना की गई। देवी मंदिरों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। जहां पर दोपहर तक देवी की स्तुति के लिए अनुष्ठान चलता रहा। मां के पांचवे स्वरूप स्कंद की अराधना कर भक्तों ने सुख समृद्धि के साथ वैभव व संतान सुख की कामना की। शास्त्रों के अनुसार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंद माता कहा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार विधि विधान से मां स्कंद की स्तुति करने से सुख समृद्धि के साथ संतान सुख की प्राप्ति होती है। संतान सुख नहीं पाने वाले लोग अगर नवरात्र में विधि विधान से मां स्कंद की स्तुति करते हैं तो उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। पंडित सुनील मिश्र के अनुसार स्कंद माता को शीलता माता के रूप में भी जाना जाता है। जो अन्य देवियों की तुलता में भक्तों से जल्द ही प्रसन्न हो जाती है। इन्हें स्वच्छता सबसे अधिक प्रिय है। स्कंद माता को अर्घ्य, आचमन, विल्व पत्र का श्रृंगार सबसे अधिक प्रिय है। जो भक्त उन्हें उक्त वस्तुएं चढाते हैं उससे मां जल्द प्रसन्न होती है और भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। शहर के सिंहेश्वरी मंदिर, हनुमान मंदिर, राम जानकी मंदिर, मधवापुर समय माता मंदिर पर देवी स्तुति के लिए धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया।