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टूटे फर्श पर बैठकर पढ़ाई को मजबूर छात्र

एक तरफ जहां योगी सरकार सरकारी विद्यालयों को मॉडल बना कर ब'चों को शिक्षा हेतु आकर्षित करने के लिए नये-नये जतन कर रही है, तो वहीं आज भी कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जो ब'चों के लिये बैठ कर पढ़ने लायक भी नही रह गये है। जहां अब तक जिले में दो सौ से ज्यादा विद्यालय मॉडल विद्यालय बन चुके है तो वहीं कुछ विद्यालय ऐसे भी है जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 12:10 AM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 12:10 AM (IST)
टूटे फर्श पर बैठकर पढ़ाई को मजबूर छात्र
टूटे फर्श पर बैठकर पढ़ाई को मजबूर छात्र

सिद्धार्थनगर- एक तरफ जहां योगी सरकार सरकारी विद्यालयों को मॉडल बना कर बच्चों को शिक्षा हेतु आकर्षित करने के लिए नये-नये जतन कर रही है, तो वहीं आज भी कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जो बच्चों के लिये बैठ कर पढ़ने लायक भी नही रह गये है। जहां अब तक जिले में दो सौ से ज्यादा विद्यालय मॉडल विद्यालय बन चुके है तो वहीं कुछ विद्यालय ऐसे भी है जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं।

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बर्डपुर विकासखण्ड के ग्राम दुल्हाशुमाली में स्थित प्राथमिक विद्यालय सलहंतपुर का भवन जर्जर हो चुका है। छत जगह जगह से फट चुके हैं। विद्यालय का बाउंड्रीवाल भी लगभग दो वर्षों से टूटा पडा है। लेकिन जिम्मेदार इस तरफ कोई ध्यान नही दे रहे हैं। यही नही विद्यालय के फर्श इतने टूट गए है कि अब वहां बैठने लायक नही रह गया है। इसके बावजूद मासूम बच्चे इसी पर बैठ कर ककहरा सीखने को मजबूर है। नेपाल सीमा से बिल्कुल सटा होने के कारण विद्यालय में नेपाल के बच्चे भी शिक्षा लेने हेतु आते हैं। इस विद्यालय में कुल 123 बच्चे पंजीकृत है। प्रतिदिन औसतन 70 से 75 बच्चों की उपस्थिति भी रहती है। बावजूद इस विद्यालय के रख-रखाव के तरफ कोई भी ध्यान देने वाला नही है। विद्यालय की इंचार्ज प्रधानाध्यापक विभा यादव ने बताया कि विद्यालय की दुश्वारी को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। सहायक अध्यापक दीक्षा तिवारी ने बताया कि टूटी बाउंड्री को लेकर ग्रामप्रधान से कई बार शिकायत कर चुके है लेकिन वह भी सिर्फ हीलाहवाली ही कर रहे है।जबकि बाउंड्री टूटी होने के कारण जीव जंतु तथा छुट्टा जानवर परिसर में घुस आते है जिससे बच्चो को खतरा बना रहता है। इस बारे में बात करने पर बीएसए राम ¨सह ने बताया कि जिले में जर्जर विद्यालयों की सूची मंगा ली गयी है। जिसमे 45 विद्यालय ऐसे भी है जहां अतिरिक्त कक्ष भी नही है। जल्द ही इन विद्यालयों में अतिरिक्त कक्ष निर्माण के साथ ही जर्जर विद्यालयों में मरम्मत का कार्य भी शुरू कर दिया जायेगा।


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