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सीता हरण देखकर भावुक हुए श्रद्धालु

रावण दरबार में जब उसकी बहन सूर्पणखा ने अपने साथ घटित घटना की जानकारी देते हुए बताया कि लक्ष्मण ने मेरी नाक काटी है। सुनकर खर दूषण क्रोधित हो जाते हैं और अपनी सेना के साथ भगवान राम और लक्ष्मण के साथ भयंकर युद्ध करते हैं जिसमें भगवान श्री राम दोनों को परमधाम पहुंचा देते हैं। बलवान भाइयों की मौत पर रावण क्रोधित हो जाता है और अपने मामा मारीच के पास पहुंचता है उसे सीता हरण के लिए तैयार करता है। मारीच सोने का हिरण बनकर चित्रकूट पर चला जाता है ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 11:14 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 11:14 PM (IST)
सीता हरण देखकर भावुक हुए श्रद्धालु
सीता हरण देखकर भावुक हुए श्रद्धालु

सिद्धार्थनगर : सहिजवार में चल रही रामलीला में मंगलवार रात्रि कलाकारों ने सीता हरण का मंचन किया।समिति ने त्रेता युग की उस दुर्लभ लीला का दर्शन कराया, जिसमें रावण ने भगवान के हाथों अपनी मुक्ति के लिए माता सीता का हरण किया और उन्हें लंका ले गया।

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रावण दरबार में जब उसकी बहन सूर्पणखा ने अपने साथ घटित घटना की जानकारी देते हुए बताया कि लक्ष्मण ने मेरी नाक काटी है। सुनकर खर दूषण क्रोधित हो जाते हैं और अपनी सेना के साथ भगवान राम और लक्ष्मण के साथ भयंकर युद्ध करते हैं, जिसमें भगवान श्री राम दोनों को परमधाम पहुंचा देते हैं। बलवान भाइयों की मौत पर रावण क्रोधित हो जाता है और अपने मामा मारीच के पास पहुंचता है उसे सीता हरण के लिए तैयार करता है। मारीच सोने का हिरण बनकर चित्रकूट पर चला जाता है । स्वर्ण मृग को देखकर माता सीता उस मोहित हो जाती है और भगवान राम से कहती हैं कि हे प्रभु मुझे वह हिरण बहुत अच्छा लग रहा है, मुझे वह हिरण चाहिए। माता सीता की बात सुनकर श्री राम अपना धनुष लेकर उस सोने के हिरण के पीछे चले जाते हैं हिरन उनको लेकर काफी दूर निकल जाता है तभी रामायण कपटी साधु का भेष धरकर माता सीता का हरण कर आकाश मार्ग से ले जाता है। रास्ते में जटायु से उसका युद्ध होता है। प्रदीप, हनुमान, रामप्रताप, मनीष, रामगोविद, अर्जुन, राजकुमार, सुभाष, विजय, अंकित आदि मौजूद रहे।

गाजे-बाजे के साथ लक्ष्मी प्रतिमाओं का विसर्जन

सिद्धार्थनगर क्षेत्र में बुधवार को भी करीब एक दर्जन प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ। इस दौरान लोगों द्वारा जगह-जगह स्टाल लगाकर प्रसाद वितरण किया गया। मां लक्ष्मी प्रतिमा विसर्जन की तैयारी सुबह से शुरू हो गई। बयारा, सागर रौजा, परसा जमाल, भानपुर रानी, बेवां, तिलगडिया, बदौला चौराहा, भारत भारी आदि जगहों पर रखी प्रतिमाएं गाजे बाजे के साथ उठाई गई। लोग अबीर गुलाल उड़ाते दिखाई दिए। इस बीच श्रद्धालुओं का उत्साह पूरे चरम पर रहा। बयारा में दो प्रतिमा का विसर्जन गांव के सुतिहवा ताल सागर रोजा की प्रतिमा का विसर्जन सागर में कथा भानपुर रानी की तीन प्रतिमा एवं परसा जमाल के प्रतिमा का विसर्जन भानपुरा में स्थित भुवनेश्वर नाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित पोखरे में किया गया। जबकि डुमरियागंज थाना क्षेत्र की शेष चार प्रतिमाओं का विसर्जन राप्ती नदी में शांतिपूर्ण वातावरण में किया गया। इस दौरान शांति व्यवस्था के लिए सीओ उमेश शर्मा, थाना प्रभारी केडी सिंह व रविद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में भारी पुलिस बल मुस्तैद रहा।


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