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आवास के नाम पर अब तक मिला सिर्फ आश्वासन

सिद्धार्थनगर : केंद्र व प्रदेश की सरकार भले ही गरीबों को खुद का आवास उपलब्ध कराने की बात कर रही है, बावजूद इसके अभी बहुत ऐसे परिवार हैं, जो फूस की झोपड़ी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ताजा उदाहरण डुमरियागंज ब्लाक क्षेत्र के अंदुआ गांव में देखा जा सकता है। जहां पात्र होते हुए भी आधा दर्जन परिवार ऐसे हैं, जिनकी आवास की आस अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में इनकी ¨जदगी फूस के जर्जर मकान में कट रही हैं। इन्हें आवास के लिए केवल आश्वासन ही मिलता आ रहा

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 10:20 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 10:20 PM (IST)
आवास के नाम पर अब तक मिला सिर्फ आश्वासन
आवास के नाम पर अब तक मिला सिर्फ आश्वासन

सिद्धार्थनगर :

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केंद्र व प्रदेश की सरकार भले ही गरीबों को खुद का आवास उपलब्ध कराने की बात कर रही है, बावजूद इसके अभी बहुत ऐसे परिवार हैं, जो फूस की झोपड़ी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ताजा उदाहरण डुमरियागंज ब्लाक क्षेत्र के अंदुआ गांव में देखा जा सकता है। जहां पात्र होते हुए भी आधा दर्जन परिवार ऐसे हैं, जिनकी आवास की आस अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में इनकी ¨जदगी फूस के जर्जर मकान में कट रही हैं। इन्हें आवास के लिए केवल आश्वासन ही मिलता आ रहा है।

गांव की निवासी शाहिदा खातून पत्नी हमीदुल्लाह को देखें, तो झोपड़ी नुमा छप्पर के छोटे से मकान में जैसे-तैसे जीवन गुजर रहा है। झोपड़ी भी ऐसी कि हल्की बारिश में अगर पन्नी का सहारा न लिया जाए, तो बारिश का पानी घर के अंदर भर जाए। अब इधर ठंड शुरू हो गई है। ऐसे में जब सर्द हवाएं चलेंगी, तो फिर परिवार की स्थिति कितनी कष्ट दायक होगी, इसका अंदाजा सहजता पूर्वक लगाया जा सकता है। बकौल शाहिदा चार बच्चों को लेकर हर मौसम में इसी घर में जिदंगी गुजारनी पड़ती है। प्रधान से आवास के लिए कई बार गुहार लगाई, हर बार केवल आश्वासन ही मिला, कि जल्दी ही आवास मिल जाएगा। उज्जवला योजना भी इनके लिए एक सपना है, जिसके कारण मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाना मजबूरी बना रहता है। बिजली, पेयजल की समस्या से भी परिवार जूझ रहा है। कोटेदार कभी 15 तो कभी 20 किलो राशन दे देते हैं, सरकारी योजना के नाम पर बस यही मिल रहा है।

यही हाल नबीउल्लाह का भी है। एक कमरे के फूस के बने मकान में ¨जदगी व्यतीत कर रहा परिवार सरकार द्वारा संचालित पीएम आवास योजना का इंतजार कर रहा है। राकेश कुमार अपने छप्पर के घर को कद्दू की लताओं से घेरे हुए हैं। कहते हैं, कि यहां पात्रों को आवास मिलेगा या नहीं, कुछ पता नहीं है। यही स्थिति रेशमा देवी, रंजना, फूलचंद्र, उमेश का भी है, जो पात्र होते हुए भी आवास की योजना पाने से वंचित हैं।

ग्राम प्रधान राजमती देवी का कहना है, कि जो गरीब हैं और उनके पास मकान नहीं है, ऐसे लोगों का नाम प्रधानमंत्री आवास के लिए भेजा गया है, स्वीकृति मिलने पर इन्हें योजना का लाभ मिलेगा।

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पात्र लाभार्थियों के लिए सर्वे का कार्य ग्राम सचिवों से कराया गया है। जिसे आनलाइन अपलोड किया जा रहा है। स्वीकृति मिलते ही संबंधित के खाते में प्रधानमंत्री आवास की धनराशि भेजी जाएगी।

सुशील कुमार अग्रहरि,

खण्ड विकास अधिकारी डुमरियागंज


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