पीआइसीयू वार्ड के सभी बेड भरे, कर्मचारी हटे
सिद्धार्थनगर : जेई, एइएस रोग से प्रभावित इस जनपद में बाढ़ विभीषिका के बाद मरीजों की संख्या में बढ
सिद्धार्थनगर : जेई, एइएस रोग से प्रभावित इस जनपद में बाढ़ विभीषिका के बाद मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है। संयुक्त जिला अस्पताल में पीआइसीयू वार्ड के सभी बेड भरे हुए हैं। इनके देखरेख के लिए तैनात स्टाफ नर्सों में पचास फीसद को अन्य वार्डों में लगा दिया गया है। लिहाजा भर्ती मरीजों खासकर मासूमों के उपचार में कठिनाइयां उत्पन्न हो रही है।
एइएस, जेई रोगियों के लिए बेहतर इलाज के लिए संयुक्त जिला अस्पताल में पीआइसीयू वार्ड बनाया गया है। इसमें भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी कम नहीं है। संभवत: इसी को देखते हुए संविदा पर 20 स्टाफ नर्सों की तैनाती की गई। इनमें एक की मृत्यु के बाद 19 कार्यरत हैं। लगभग एक वर्ष पूर्व से ही पचास फीसद स्टाफ नर्सों की ड्यूटी जनरल वार्ड, सर्जिकल वार्ड में लगाया गया है। यह भी सही है कि जिला अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों की घोर कमी के कारण व्यवस्था करना भी स्वाभाविक है, पर बाढ़ विभीषिका के आने पर मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी के बाद अन्य वार्डो के लिए अटैच स्टाफ नर्सों को वापस करना भी समय की मांग है। इसके बावजूद जिम्मेदार कर्मियों की कमी का हवाला देकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। पहले जहां इस वार्ड में प्रत्येक शिफ्ट में पांच-पांच की ड्यूटी लगती थी, वहीं अब तीन-तीन की ड्यूटी लगी है। इन आंकड़ों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता कि मौजूदा समय में जब वार्ड के सभी 10 बेड भरे ही नहीं, एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज चल रहा हो, ऐसे में तीन स्टाफ नर्स किस प्रकार अपने कार्य एवं दायित्व का निर्वहन करती होगी। इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। सीएमएस का कहना है कि पुष्पा सेल के कर्मियों का भी सहयोग लिया जा रहा है। उक्त कर्मी स्टाफ नर्स का दायित्व निभा पाएंगे, इस सवाल पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। वार्ड में स्थायी व संविदा डाक्टरों के स्वीकृत पदों के सापेक्ष तैनाती न होने से भी परेशानी है। नियमित डाक्टरों के तीन पद स्वीकृत हैं, पर एक ही तैनात हैं। संविदा के आधार पर डाक्टरों के दो पद स्वीकृत हैं, सभी रिक्त चल रहे हैं। बीते जनवरी से अब तक पीआइसीयू समेत जनरल वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 273 रही। जिसमें 26 की मृत्यु हो चुकी है। वार्ड में इलाज के दौरान अब तक पांच की मौत हुई है।
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संयुक्त जिला अस्पताल में डाक्टरों व कर्मियों की घोर कमी के कारण अन्य वार्डों को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए ही स्टाफ नर्सों को लगाया गया है। पीआइसीयू वार्ड में भर्ती मरीजों के उपचार में किसी भी स्तर पर व्यवधान नहीं हो रहा है। पुष्पा सेल प्रा. लि. के अधीन कार्यरत आपरेटरों से भी सहयोग लिया जा रहा है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को समुचित इलाज कराने के लिए मौजूदा व्यवस्था से ही काम चलाना मजबूरी है।
डा. रोचस्मति पांडेय
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक