माया की कामयाबी दिखा रही तरक्की की राह
तमाम लोगों के रोजगार छूट गए लेकिन कई ऐसे भी थे जिन्होंने आपदा के दौर में भी न सिर्फ अपना काम शुरू किया बल्कि दूसरों को भी रोजगार का रास्ता दिखाया। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं सिद्धार्थनगर जिले के भनवापुर ब्लाक अंतर्गत ग्राम मझौवा निवासी माया चौधरी।
सिद्धार्थनगर : कोरोना काल में उद्योग-धंधे ठप पड़ गए। तमाम लोगों के रोजगार छूट गए लेकिन कई ऐसे भी थे जिन्होंने आपदा के दौर में भी न सिर्फ अपना काम शुरू किया बल्कि दूसरों को भी रोजगार का रास्ता दिखाया। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं सिद्धार्थनगर जिले के भनवापुर ब्लाक अंतर्गत ग्राम मझौवा निवासी माया चौधरी।
माया ने इस दौरान फलदार पौधों की नर्सरी के साथ मशरूम उत्पादन, कुक्कुट व मछली पालन की समन्वित खेती शुरू की। छह महीने के शुरुआती दौर में उन्होंने 113600 रुपये शुद्ध मुनाफा कमाया है। इनके कार्यों से प्रेरित होकर नौ अन्य महिलाएं भी इनके कार्यों से सीख ले रही हैं।
बीए पास 22 वर्षीय माया पिछले वर्ष जनवरी में रोजगार के सिलसिले में दिल्ली गईं। कोरोना के कारण लाकडाउन लगा तो घर वापस लौटना पड़ा। इस बीच सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्र सोहना में प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रशिक्षण शुरू किया। प्रधानमंत्री ने आपदा में अवसर की बात कही तो माया ने प्रशिक्षण के उपरांत अपनी चार एकड़ भूमि का व्यवस्थित इस्तेमाल करना शुरू किया। तीन एकड़ में खेती, पांच बिस्वा में मछली पालन, मुर्गी पालन शुरू किया। वर्तमान में इनके पास 30 हजार फलदार पौधों की नर्सरी है। कुक्कुट पालन के लिए कृषि विभाग की ओर से कड़कनाथ प्रजाति के चूजे दिए गए। इनकी संख्या 90 से अधिक हो गई है। वर्मी कंपोस्ट भी बना रहीं हैं।
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिक डा. एलसी वर्मा, डा. डीपी सिंह, डा. प्रदीप कुमार व डा. एसएन सिंह का कहना है कि माया में अपार इच्छा शक्ति है। आसपास की महिलाएं उनसे काफी प्रेरित हैं। दुर्गावती, सुमन चौधरी, कैलाशी देवी, शकुंतला, मीरा, प्रभावती, अनीता, पटेश्वरी आदि महिलाएं भी इस व्यवसाय से प्रभावित होकर जुड़ी हैं।
मुख्यमंत्री कर चुके हैं सम्मानित
प्रगतिशील किसान के रूप में कम समय में पहचान बनाने वाली माया को समेकित कृषि प्रणाली अपनाने व इसको बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सम्मानित ने 20 दिसंबर 2020 को आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या) में किसान एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के दौरान सम्मानित किया था।
माया चौधरी ने कहा कि स्नातक की पढ़ाई के बाद रोजगार की तलाश शुरू की, लेकिन सफलता नहीं मिली। दिल्ली गई तो लाकडाउन की वजह से वापस आना पड़ा। पिता राम बहादुर चौधरी, खंड विकास अधिकारी धनन्जय सिंह व अन्य स्टाफ, कृषि वैज्ञानिकों से सहयोग मिला तो गांव पर ही काम शुरू किया। इस व्यवसाय को बड़े पैमाने पर लेकर जाना और अन्य महिलाओं को इस दिशा में प्रेरित करना लक्ष्य है।