शुद्ध जल के नाम पर खर्च हुए डेढ़ करोड़ रुपये, नहीं मिला पानी
मोटर व पाइप भी गायब हो चुके हैं।
सिद्धार्थनगर : खेसरहा विकास खण्ड के कुल 37 ग्राम पंचायतों में शुद्ध पेयजल के नाम सरकार के डेढ़ करोड़ बहा दिए, पर ग्रामीणों को एक बूंद शुद्ध जल मुहैया नहीं हुआ। सभी मिनी वाटर टैंक अब जर्जर होकर जहां ध्वस्त हो रहे हैं, वहीं मोटर व पाइप भी गायब हो चुके हैं।
ग्रामीणों को टोटी वाला शुद्ध पेयजल मुहैया हो इसके लिए कुल 37 मिनी वाटर टैंकों का निर्माण कराया गया था। उद्देश्य था कि बोरिग के माध्यम से 250 फिट नीचे का पानी टंकी में स्टोर किया जाएगा, जिसे टोटी के माध्यम से मुहैया कराया जाएगा। इससे लोगों को जेई जैसी घातक बीमारी जो दूषित जल के सेवन से होती है। उससे काफी हद तक निजात मिलेगी। लेकिन यह मंशा धरी की धरी रह गई। 2012 में हुआ था निर्माण
ब्लाक क्षेत्र सिसहनिया, पचमोहनी, देवरी, नगवा, मूजडीह, सेखुई, महुईनानकार, पेड़ारी बुजुर्ग, टिकुईया, सकारपार आदि गांवों में वर्ष 2012 में इन वाटर टैंकों का निर्माण कराया गया था। इसमें प्रति प्रोजक्ट किसी में ढाई लाख तो किसी में तीन लाख कुल करीब डेढ़ रुपये खर्च हुए थे। पर कहीं विद्युत आपूर्ति ही नहीं दी गई तो कहीं बिना मोटर लगाए ही ठेकेदार चलते बने। ग्रामीणों की सुनिए
कोटिया में मिनी वाटर टैंक को गड्ढे में बना दिया गया। एक दिन भी ग्रामीणों को टोटी का पानी नसीब नहीं हुआ टैंक ध्वस्त मोटर गायब हो गया।
प्रदीप पांडेय हमारे गांव सकारपार में भी इसे तालाब में बना दिया गया। सिर्फ टंकी का निर्माण हुआ आज तक उसमें न तो मोटर लगा और न ही बिजली कनेक्शन दिया।
रमाकांत मिश्र गांव में बना मिनी वाटर टैंक एक वर्ष के अन्दर ही टूट कर गिर गया । जिसकी सूचना विभाग को दे दी गई थी, पर अभी तक कोई देखने तक नहीं आया ।
विजय प्रकाश त्रिपाठी लोगों को शुद्ध जल पिलाने के नाम सरकार के धन का जिम्मेदारों ने जमकर बंदर बाट किया। एक भी मिनी वाटर टैंक अब सही हालत में नही हैं।
हरिशंकर सिंह यह प्रोजक्ट जल निगम द्वारा लाया गया था। मिनी वाटर टैंक का निर्माण खुद जल निगम ने ही कराया था। हमसे पूर्व के एडीओ पंचायत ने इस पर लिखा पढ़ी भी की थी पर अभी तक कुछ नहीं हुआ।
दल सिगार यादव
एडीओ, पंचायत खेसरहा